हिन्दू धर्म
शास्त्रों में जन्म, मृत्यु आदि के जुड़े कई संस्कार को बताया गया है। व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु के बीच तक के सफर में उसे कई संस्कार से गुजरना पड़ता है। इस धर्म में व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी कई संस्कार अहमियत रखते हैं। इन्ही परम्पराओं में से एक है मौत के बाद मृतक का सिर हमेशा दक्षिण दिशा में रखा जाता है, लेकिन आप जानते हैं कि आखिर क्यों मृत व्यक्ति का सिर इसी दिशा में रखते हैं।
माना जाता है कि जिस प्रकार लोग कपड़े बदलते है उसी प्रकार आत्मा शरीर बदलती है। शरीर तो नष्ट हो जाता है, लेकिन आत्मा नहीं। व्यक्ति के शरीर का अंत उसकी मृत्यु के साथ ही हो जाता है।
शास्त्रों के अनुसार मृत व्यक्ति का सिर दक्षिण दिशा में इसीलिए रखते हैं, क्योंकि उसके प्राणों का त्याग दसवें द्वार से हो।
ऐसा माना जाता है कि मरने के बाद भी कुछ समय तक प्राण व्यक्ति के मस्तिष्क में रहते हैं। इसीलिए उत्तर दिशा में सिर रखने से ध्रुवाकर्षण के कारण प्राण शीघ्र निकल जाते हैं।
इसी वजह से मृतक का सिर हमेशा दक्षिण दिशा की ओर रखा जाता है।