धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: रुस्तम राणा
Updated Thu, 04 Mar 2021 07:28 AM IST
यशोदा जयंती 4 मार्च गुरुवार को है। प्रति वर्ष यह जयंती फाल्गुन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन मां यशोदा का जन्म हुआ था। मां यशोदा ने ही भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था। जबकि उनका जन्म मां देवकी के कोख से हुआ था। यशोदा जयंती के दिन विधि-विधान से मां यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही भूत-प्रेतों से छुटकारा मिलता है। यशोदा जयंती के अवसर पर श्रीकृष्ण मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का दर्शन व पूजन के लिए तांता लग जाता है।
यशोदा जयंती का शुभ मुहूर्त-
षष्ठी तिथि प्रारंभ - 4 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से
षष्ठी तिथि समाप्त - 4 मार्च को रात 9 बजकर 58 मिनट तक
यशोदा जयंती पर करें ये उपाय
- संपत्ति से लाभ हेतु गेहूं से भरा तांबे का कलश कृष्ण मंदिर में चढ़ाएं।
- गृहक्लेश से मुक्ति हेतु यशोदा-कृष्ण पर चढ़ी मौली घर के मेन गेट पर बांधें।
- गरीबों को दान-पुण्य करें। इससे जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- संतान सुख की प्राप्ति हेतु यशोदा-कृष्ण पर चढ़ा कोंहड़ा (कद्दू) नाभि से वारकर चौराहे पर रखें।
- घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक व ॐ बनाने से नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।
यशोदा जयंती कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय में यशोदा ने श्रीहरि की घोर तपस्या की, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। यशोदा ने कहा हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में मैं वासुदेव एवं देवकी के घर मैं जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ और श्रीकृष्ण देवकी व वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए। इस दिन कृष्ण व यशोदा के विधिवत पूजन, व्रत व उपाय से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है, गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है व संपत्ति से लाभ मिलता है।
यशोदा जयंती 4 मार्च गुरुवार को है। प्रति वर्ष यह जयंती फाल्गुन कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन मां यशोदा का जन्म हुआ था। मां यशोदा ने ही भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था। जबकि उनका जन्म मां देवकी के कोख से हुआ था। यशोदा जयंती के दिन विधि-विधान से मां यशोदा और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन इनकी पूजा से पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। साथ ही भूत-प्रेतों से छुटकारा मिलता है। यशोदा जयंती के अवसर पर श्रीकृष्ण मंदिरों में सुबह से ही भक्तों का दर्शन व पूजन के लिए तांता लग जाता है।
यशोदा जयंती का शुभ मुहूर्त-
षष्ठी तिथि प्रारंभ - 4 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से
षष्ठी तिथि समाप्त - 4 मार्च को रात 9 बजकर 58 मिनट तक
यशोदा जयंती पर करें ये उपाय
- संपत्ति से लाभ हेतु गेहूं से भरा तांबे का कलश कृष्ण मंदिर में चढ़ाएं।
- गृहक्लेश से मुक्ति हेतु यशोदा-कृष्ण पर चढ़ी मौली घर के मेन गेट पर बांधें।
- गरीबों को दान-पुण्य करें। इससे जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- संतान सुख की प्राप्ति हेतु यशोदा-कृष्ण पर चढ़ा कोंहड़ा (कद्दू) नाभि से वारकर चौराहे पर रखें।
- घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक व ॐ बनाने से नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।
यशोदा जयंती कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय में यशोदा ने श्रीहरि की घोर तपस्या की, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। यशोदा ने कहा हे ईश्वर! मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे, मेरे पुत्र रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें कहा कि आने वाले काल में मैं वासुदेव एवं देवकी के घर मैं जन्म लूंगा लेकिन मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ और श्रीकृष्ण देवकी व वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में प्रकट हुए। इस दिन कृष्ण व यशोदा के विधिवत पूजन, व्रत व उपाय से निसंतान दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त होता है, गृहक्लेश से मुक्ति मिलती है व संपत्ति से लाभ मिलता है।