Ramadan 2021: रमजान का पाक महीना 13 या 14 (चांद के अनुसार) अप्रैल से शुरू होगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल का नौवां महीना रमजान का होता है। इसे इबादत का महीना कहा जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अनिवार्य रूप से रोजा रखा जाता है। रमजान की शुरुआत चांद को देखकर की जाती है। अगर 12 अप्रैल को चांद का दीदार होता है तो रोजे 13 अप्रैल से शुरू होंगे। वहीं 13 अप्रैल को चांद दिखाई देता है तो 14 अप्रैल से रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा।
ऐसे हुई थी रमजान माह की शुरुआत
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।
इस्लाम में बेहद पवित्र माना जाता है रमजान माह
इस्लाम मजहब में रमजान के महीने को बेहद पाक (पवित्र) माना जाता है। मान्यता के अनुसार, रमजान महीना अल्लाह की इबादत के लिए होता है। इस महीने रोजा (उपवास) रखें जाते हैं। पांचों वक्त की नवाज अदा की जाती है। कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब अन्य महीनों से कई गुना ज्यादा मिलता है। रोजेदार के लिए अल्लाह जन्नत की राह खोल देता है।
रमजान में होने वाली प्रमुख रस्में
इस्लाम की रवायत के अनुसार, रमजान के महीने में रोजा रखना अनिवार्य होता है। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार ये दो महत्वपूर्ण रस्में होती हैं। रमजान के दिनों में सुबह के समय में जब भोजन किया जाता है तो उसे सहरी कहते हैं। सहरी दिन में सूरज के निकलने से पहले किया जाता है। सेहरी करने को सुन्नत कहते है। वहीं दिनभर रोजा रखने के बाद शाम के समय जब सूरज डूब जाता है तब रोजा खोला जाता है इसे इफ्तार कहा जाता है।
रमजान माह के प्रमुख तीन हिस्से
रमजान माह के तीस दिनों को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है पहला हिस्सा अशरा (रहमत) का होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा हिस्सा अशरा यानि दोजख से आजादी दिलाने का होता है। इस महीने रोजेदार को झूठ नहीं बोलना चाहिए।
Ramadan 2021: रमजान का पाक महीना 13 या 14 (चांद के अनुसार) अप्रैल से शुरू होगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, साल का नौवां महीना रमजान का होता है। इसे इबादत का महीना कहा जाता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा अनिवार्य रूप से रोजा रखा जाता है। रमजान की शुरुआत चांद को देखकर की जाती है। अगर 12 अप्रैल को चांद का दीदार होता है तो रोजे 13 अप्रैल से शुरू होंगे। वहीं 13 अप्रैल को चांद दिखाई देता है तो 14 अप्रैल से रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा।
ऐसे हुई थी रमजान माह की शुरुआत
इस्लामिक मान्यता के अनुसार, 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब पर लेयलत-उल-कद्र के मौके पर पवित्र कुरान शरीफ नाजिल हुई थी। तब से रमजान माह को इस्लाम में पाक माह के रूप में मनाया जाने लगा। रमजान का जिक्र कुरान में भी मिलता है। कुरान में जिक्र है कि रमजान माह में अल्लाह ने पैगंबर मोहम्मद साहब को अपने दूत के रूप में चुना है। इसलिए रमजान का महीना मुसलमानों के लिए पाक है।
इस्लाम में बेहद पवित्र माना जाता है रमजान माह
इस्लाम मजहब में रमजान के महीने को बेहद पाक (पवित्र) माना जाता है। मान्यता के अनुसार, रमजान महीना अल्लाह की इबादत के लिए होता है। इस महीने रोजा (उपवास) रखें जाते हैं। पांचों वक्त की नवाज अदा की जाती है। कहा जाता है कि इस महीने की जाने वाली इबादत का सवाब अन्य महीनों से कई गुना ज्यादा मिलता है। रोजेदार के लिए अल्लाह जन्नत की राह खोल देता है।
रमजान में होने वाली प्रमुख रस्में
इस्लाम की रवायत के अनुसार, रमजान के महीने में रोजा रखना अनिवार्य होता है। रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार ये दो महत्वपूर्ण रस्में होती हैं। रमजान के दिनों में सुबह के समय में जब भोजन किया जाता है तो उसे सहरी कहते हैं। सहरी दिन में सूरज के निकलने से पहले किया जाता है। सेहरी करने को सुन्नत कहते है। वहीं दिनभर रोजा रखने के बाद शाम के समय जब सूरज डूब जाता है तब रोजा खोला जाता है इसे इफ्तार कहा जाता है।
रमजान माह के प्रमुख तीन हिस्से
रमजान माह के तीस दिनों को तीन हिस्सों में विभाजित किया गया है पहला हिस्सा अशरा (रहमत) का होता है। दूसरा अशरा मगफिरत का और तीसरा हिस्सा अशरा यानि दोजख से आजादी दिलाने का होता है। इस महीने रोजेदार को झूठ नहीं बोलना चाहिए।