हिन्दू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है जिनमें से देवशयनी और देवउठनी एकादशी खास है। देवशयनी एकादशी मे जहां सारे शुभ कार्यो में विराम लग जाता है वहीं देवउठनी एकादशी पर शुभ कार्यो की शुरुआत हो जाती है। इस साल 23 जुलाई 2018, सोमवार को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। जिसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। इस दौरान 4 माह के लिए यानि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए विश्राम करने के लिए क्षीर सागर में चले जाते हैं। इन 4 महीनों के दौरान शुभ कार्य जैसे विवाह,उपनयन संस्कार, गृहप्रवेश जैसे मांगलिक कार्य थम जाते है। 4 महीने की निद्रा पूरी करने के बाद देवोत्थान यानी देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी निद्रा का त्याग करते हैं और फिर से सृष्टि का संचालन अपने हाथों में ले लेते हैं।
ये चार महीने का समय चार्तुमास के नाम से जाना जाता है। इन दिनों में धर्म कर्म, पूजा-पाठ और भजन जप आदि करना लाभकारी माना जाता है। देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु जी की सोने, चांदी, तांबे या फिर पीतल की मूर्ति स्थापित करें। पूजा करने के बाद व्रत कथा अवश्य सुनना चाहिए। अंत में सफेद चादर से पलंग पर श्री विष्णु को शयन कराना चाहिए।