अंतरराष्ट्रीय शिमला ग्रीष्मोत्सव के चौथे व अंतिम दिन मालरोड पर भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से महानाटी का आयोजन किया गया। मालरोड पर पुलिस गुमटी के पास करीब 250 महिलाएं नाटी पर एक साथ थिरकीं। रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों और सिर पर ढाठू पहनकर महिलाओं ने नाटी डालकर महिला सशक्तीकरण का संदेश दिया। पर्यटक भी महिलाओं के साथ कदम से कदम मिलाने पर विवश हो गए।
पर्यटकों ने इस ऐतिहासिक पल को कैमरों में कैद किया। भाषा एवं संस्कृति विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित महानाटी में जिला की विभिन्न आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित ग्रामीण विकास विभाग से ठियोग, मशोबरा, बसंतपुर और टुटू की टीमों ने भी भाग लिया। इसके अलावा संस्कृतिक कला मंच ठियोग ने वाद्य यंत्र वादन से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
नाटी लोकनृत्य क्या है।
बता दें, नाटी लोकनृत्य हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का एक प्रतिबिंब है। इस समृद्ध परंपरा के बिना देवभूमि का लोक जीवन अधूरा है। सूबे में क्षेत्र विशेष को दर्शाती वेशभूषा। हाथों में चंवर या रुमाल। बांसुरी, ढोल, नगाड़ों, रणसिंघा, करनाल और शहनाई की मधुर धुन पर झूमते और नाजुक अंदाज में घुटने झुका नाटी डालते पहाड़ के लोग हर पर्व में उल्लास के रंग भरते हैं।
पर्यटकों ने इस ऐतिहासिक पल को कैमरों में कैद किया। भाषा एवं संस्कृति विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित महानाटी में जिला की विभिन्न आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहित ग्रामीण विकास विभाग से ठियोग, मशोबरा, बसंतपुर और टुटू की टीमों ने भी भाग लिया। इसके अलावा संस्कृतिक कला मंच ठियोग ने वाद्य यंत्र वादन से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
नाटी लोकनृत्य क्या है।
बता दें, नाटी लोकनृत्य हिमाचल प्रदेश की संस्कृति का एक प्रतिबिंब है। इस समृद्ध परंपरा के बिना देवभूमि का लोक जीवन अधूरा है। सूबे में क्षेत्र विशेष को दर्शाती वेशभूषा। हाथों में चंवर या रुमाल। बांसुरी, ढोल, नगाड़ों, रणसिंघा, करनाल और शहनाई की मधुर धुन पर झूमते और नाजुक अंदाज में घुटने झुका नाटी डालते पहाड़ के लोग हर पर्व में उल्लास के रंग भरते हैं।