हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में आयोजित की गई। बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं। प्रदेश में नगर निगमों के चुनाव पार्टी चिह्न पर होंगे। कैबिनेट की बैठक में प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1994 और हिमाचल प्रदेश नगर निगम चुनाव अधिनियम 2012 में संशोधन करने को मंजूरी दी गई। इसके अलावा पहली बार मेयर पद के लिए ओबीसी रोस्टर लागू करने को भी स्वीकृति दी गई। कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया कि नगर चुनाव के बाद अगर कोई दलबदल करता है तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। कैबिनेट ने बजट सत्र शुरू होने के पहले दिन 26 फरवरी को राज्यपाल की ओर से दिए जाने वाले अभिभाषण के ड्राफ्ट को भी मंजूरी दी। अब इसे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट ने निर्णय लिया कि नगर निगम वार्डों में पहले से ही रोस्टर लागू है। अब मेयर के लिए ओबीसी रोस्टर लागू होगा। अब इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, महिला, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए पद आरक्षित रहेगा। प्रदेश सरकार ने नगर निगम में आयुक्त लगने के लिए आईएएस और एचएएस सेवा अवधि में भी कटौती करने का निर्णय लिया है। पहले नगर निगम में आयुक्त लगने के लिए प्रशासनिक सेवाओं में 10 साल सेवा अवधि का होना अनिवार्य था। अब नियमों में संशोधन करने से आईएएस अधिकारी को 7 साल, एचएएस अधिकारी को आयुक्त लगने के लिए 9 साल की सेवा शर्त होना अनिवार्य होगा। एक्ट में संशोधन का विधेयक विधानसभा में पारित किया जाएगा। सोलन, पालमपुर, मंडी, धर्मशाला नगर निगम के चुनाव इसी साल और शिमला नगर निगम में अगले साल चुनाव होने हैं। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि 2016 से पहले जो स्थिति थी, उसे लागू किया गया है। राजनीतिक दल अपनी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव में खड़े कर सकेंगे।