दिव्यांग शारीरिक रूप से अक्षम हो सकते हैं पर उनमें भी अपार संभावनाएं हैं। लोगों की सकारात्मक सोच और थोड़ा सा सहयोग मिले तो वे भी आम इंसान की तरह सब कर सकते हैं। यह कहना है तमाम दुविधा, समस्या और नकारात्मक माहौल से उबरकर केंद्रीय विद्यालय में मेंटल मैथ के शिक्षक हिमानी बुंदेला का। हिमानी की दोनों आंखों की रोशनी एक एक्सीडेंट में उस समय चली गईं जब वह 11वीं में थीं। बावजूद, हिमानी ने हिम्मत नहीं हारी और हौसलों से सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर पेश है ऐसे ही दिव्यांगजनों की कहानी, उन्हीं की जुबानी, जो आज दूसरों के लिए नजीर है...।