शरीर के बेहतर ढंग से कार्य करते रहने के लिए हार्मोन्स का संतुलित रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। हार्मोन ऐसे रसायन होते हैं जो आपके रक्त के माध्यम से अंगों, त्वचा, मांसपेशियों तक संदेश पहुंचाकर शरीर में विभिन्न कार्यों का समन्वय करते हैं। हार्मोन्स में होने वाले असंतुलन की स्थिति इन कार्यों में व्यवधान पैदा कर सकती है। आहार में गड़बड़ी और दिनचर्या की कई तरह की समस्याओं के कारण हार्मोन्स में असंतुलन हो सकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने पाया कि दिनचर्या को ठीक रखकर हार्मोन्स के असंतुलन को भी ठीक किया जा सकता है। योगासनों को दिनचर्या का हिस्सा बनाकर इसमें आपको लाभ मिल सकता है। शोध में पाया गया कि तनाव, विटामिन्स की कमी और नींद की समस्याओं के कारण भी हार्मोन्स में असंतुलन की समस्या हो सकती है। सभी उम्र के लोगों को दिनचर्या को ठीक रखने वाले उपाय करते रहना चाहिए, जिससे इस असंतुलन को ठीक किया जा सके।
आइए जानते हैं कि इसके लिए दिनचर्या में किन योगासनों को शामिल किया जा सकता है।
भुजंगासन योग से हार्मोन्स रहता है संतुलित
भुजंगासन योग से कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं। इसे हार्मोन्स के असंतुलन को ठीक रखने वाले तरीकों में से भी एक माना जाता है। भुजंगासन योग छाती और फेफड़ों को फैलाने में सहायक मानी जाती है। इससे रक्त का प्रवाह बढ़ता है और यह हार्मोन्स कीे कई प्रकार की समस्याओं के जोखिम को कम करने में फायदेमंद हो सकती है। पीठ और कमर के दर्द को कम करने में भी इस योग से लाभ हो सकते हैं।
सेतुबंधासन से होने वाले फायदे
सेतुबंधासन योग का अभ्यास मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में आपके लिए विशेष लाभकारी है। विशेषज्ञों ने पाया कि यह कई प्रकार के हार्मोन्स के स्राव को बढ़ाने के साथ इससे संबंधित विकारों के जोखिम को भी कम करती है। शारीरिक रूप से यह मुद्रा छाती, गर्दन और रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद मानी जाती है। थाइरॉइड जैसे हार्मोन्स के संतुलन को बढ़ाने के साथ मस्तिष्क के लिए भी इसके कई प्रकार के लाभ देखे गए हैं।
कैमल पोज से होने वाले लाभ
कैमल पोज के नियमित अभ्यास की आदत शरीर की लगभग सभी बड़ी मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग के अलावा मांसपेशियों के तनाव को कम करने में आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। श्वसन और लसीका तंत्र को बेहतर बनाने के साथ कैमल पोज के अभ्यास की आदत हार्मोन्स के असंतुलन को ठीक करने में भी मददगार हो सकती है। थाइरॉइड की समस्या के साथ, मधुमेह, स्पॉन्डिलाइटिस और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए भी इस योग के अभ्यास से फायदा मिल सकता है।
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नोट: यह लेख योग विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी योगगुरु से संपर्क कर सकते हैं।
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