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Parenting Tips: माता-पिता को कितनी उम्र के बच्चे के साथ सोना बंद कर देना चाहिए? जानिए कारण
लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला Published by: शिवानी अवस्थी Updated Wed, 07 Jun 2023 12:53 PM IST
Parenting Tips: छोटे बच्चे जन्म के बाद अपने माता पिता के साथ ही सोते हैं। बच्चे जब कम उम्र के होते हैं, तो उन्हें रात में सोते वक्त भी अपने अभिभावकों की जरूरत महसूस होती है। माता पिता के स्पर्श से बच्चा सुरक्षित महसूस करता है। ऐसे में अभिभावक भी अपने बच्चों के साथ एक ही बिस्तर पर सोते हैं। वहीं बच्चे बड़े होने लगते हैं तब भी कई सालों तक अपने माता पिता के साथ ही सोते हैं। भारतीय परिवारों में तो बड़ी उम्र के बच्चे अक्सर ही अपने माता पिता के साथ सो जाया करते हैं। लेकिन बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ माता पिता को उन्हें अलग सुलाना चाहिए। लाड प्यार व केयर के चलते अक्सर माता पिता बच्चों को अपने साथ ही सुला लेते हैं, पर ये बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है। बच्चे को अलग बिस्तर या अलग कमरे में सुलाने की आदत डालें। यहां आपको बताया जा रहा है कि बच्चे को अभिभावक के साथ किस उम्र के बाद नहीं सोना चाहिए और इसके पीछे की वजह क्या है।
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Parenting Tips
- फोटो : Pixabay
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बच्चे को किस उम्र तक सुलाएं साथ
नवजात शिशु का अपनी माता के साथ सोना लाजमी है। लेकिन एक उम्र के बाद बच्चे को माता पिता के साथ सोना बंद कर देना चाहिए। इस विषय पर हुए अध्ययन के मुताबिक, तीन से चार साल के बच्चे का अभिभावक के साथ सोना उनके मनोबल को बढ़ाता है। माता पिता के साथ सोने से बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है, साथ ही मनोवैज्ञानिक समस्याएं कम होती हैं।
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पेरेंटिंग टिप्स
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किस उम्र में बच्चा अभिभावकों से अलग सोए
चार-पांच की आयु के बाद बच्चे को अभिभावक से अलग सुलाना चाहिए। वहीं जब बच्चा प्री-प्यूबर्टी अवस्था में हो यानी जब बच्चे में शारीरिक बदलाव होने लगे तो उन्हें अलग सुलाना चाहिए, इससे उन्हें कुछ स्पेस मिलती है।
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बच्चों को अलग सुलाने की वजह
अध्ययन कहता है, एक उम्र के बाद बच्चे का माता पिता के साथ सोना कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं को जन्म दे सकता है। बढ़ती उम्र के बच्चे का माता पिता के साथ सोना उनमें मोटापा, थकान, कम ऊर्जा, विकास में कमी, अवसाद और याददाश्त कमजोर होने का कारण बन सकता है।
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माता पिता के साथ बच्चे कब सोना बंद करें
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अभिभावक के साथ होने के दुष्प्रभाव
उम्र बढ़ने पर बच्चे में समझदारी आने लगती है। माता पिता के साथ जब बड़ी उम्र का बच्चा सोता है तो वह अक्सर अपने अभिभावकों के बीच के मनमुटाव व उनके रिश्ते में आने वाले तनाव को महसूस करता है। वहीं बच्चे के साथ सोने से माता पिता के बीच तनाव की स्थिति में बढ़ोतरी भी होती है।
माता पिता के बीच के झगड़े और तनाव का कारण बच्चे बन जाते हैं, इसे महसूस करके बच्चा अवसाद का शिकार होने लग सकता है।
सालों तक माता पिता के साथ सोने की आदत पड़ जाने के कारण बच्चे के लिए अलग सोना मुश्किल हो जाता है। चार-पांच साल में ही अभिभावक से अलग लेटने की आदत उन्हें अलग सोने में मदद करती है।
बच्चा बड़ा होने लगता है तो दिनभर की थकान के बाद उसे अच्छी नींद चाहिए होती है, लेकिन एक ही बेड पर अभिभावक के साथ होने से अच्छी नींद मिलना मुश्किल हो जाता है। वह आराम से सो नहीं पाता।
उम्र के साथ बच्चे के शरीर का विकास होने लगता है, रात में सोते समय बच्चे की बॉडी में विकास होता है लेकिन माता पिता के साथ एक ही बेड पर सोने से विकास पर भी असर पड़ता है।
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