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Plastic Risk: हर हफ्ते शरीर में जा रहा है करीब 5 ग्राम तक प्लास्टिक, इससे लगभग सभी प्रकार के कैंसर का जोखिम

हेल्थ डेस्क, अमर उजाला. नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Mon, 05 Jun 2023 10:47 AM IST
plastic side effects on health, Toxic Chemicals in Plastic causes cancer and infertility
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तमाम अध्ययनों के माध्यम से शोधकर्ता प्लास्टिक के कारण इंसानी सेहत को होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट करते आ रहे हैं। यही कारण है कि पॉलिथीन और प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल को कम करने के लिए अभियान चलाए जाते रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि भोजन के साथ प्लास्टिक के सूक्ष्मकण हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं जिसके कारण कैंसर जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है।  

अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि प्लास्टिक की बोतलों, कंटेनर्स, टिफिन में रखे भोजन के माध्यम से इसके कण शरीर में पहुंच रहे हैं। बच्चों में मानसिक विकास को बाधित करने से लेकर यह वयस्कों-बुजुर्गों में प्रोस्टेट कैंसर जैसे जोखिमों तक को बढ़ाने वाला हो सकता है। विशेषकर यदि इसमें गर्म चीजें रखी गई हों तो इससे सेहत को और भी जोखिम हो सकता है।

आइए जानते हैं कि प्लास्टिक क्यों इतना खतरनाक है और इससे किस प्रकार से बचाव किया जा सकता है?
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शरीर में प्रवेश कर रहा है प्लास्टिक

वैज्ञानिकों का कहना है कि रोजाना कई माध्यमों जैसे सांस लेने, भोजन के माध्यम से या फिर सीधे त्वचा के संपर्क से प्लास्टिक के सूक्ष्मअंश जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक्स कहा जाता है, वह हमारे संपर्क में पहुंच रहा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एक व्यक्ति के शरीर में किसी न किसी माध्यम से प्रति सप्ताह लगभग 5 ग्राम तक  प्लास्टिक के सूक्ष्मअंश प्रवेश कर रहे हैं। जबकि  अध्ययनों के परिणाम इंगित करते हैं कि प्लास्टिक मानव शरीर के अनुकूल नहीं है और जीवन चक्र में तमाम बीमारियों, अक्षमता और समयपूर्व मृत्यु का कारण बन सकता है।

प्लास्टिक में पाए जाने वाले जहरीले रासायन मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं।
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प्लास्टिक में होते हैं हानिकारक रसायन

वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लास्टिक बनाने के लिए लगभग 13,000 प्रकार के रसायनों का उपयोग किया जाता है, इनमें से ज्यादातर को पर्यावरण और सेहत के लिए नुकसानदायक पाया गया है।
 
इसे बनाने के लिए एंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल्स (EDCs) का व्यापक इस्तेमाल हो रहा है, जिसे बांझपन, मोटापा, मधुमेह, प्रोस्टेट या स्तन कैंसर, थायरॉयड जैसी समस्याओं बढ़ते जोखिम से जुड़ा गया है। इसी तरह कुछ प्रकार के प्लास्टिक में बिस्फेनॉल-ए नामक कैमिकल का प्रयोग हो रहा है जो भोजन या पानी के साथ रिस कर हमारे शरीर में पहुंच रहा है जो कैंसर कारक हो सकता है।
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प्लास्टिक की चीजों में न रखें गर्म भोजन

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम किया जाना चाहिए, साथ ही बच्चों के टिफिन, पानी की बोतल आदि के लिए प्लास्टिक वाली चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। प्लास्टिक के टिफिन में न तो गर्म भोजन रखें, न ही इसे माइक्रोवेब करें। ऐसा करने से प्लास्टिक में मौजूद रसायन पिघलकर भोजन में मिल सकते हैं, जो शरीर में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।

प्लास्टिक की यूज-एंड-थ्रो कप्स में चाय-कॉफी भी पीने से बचें। माइक्रोप्लास्टिक को शरीर में पहुंचने से रोकने के लिए हमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है। 
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ये सावधानियां जरूरी
  • माइक्रोप्लास्टिक ऑर्गन फेलियर का कारण बन सकता है, इससे बचाव के लिए प्लास्टिक की चीजों को न तो गर्म करें न ही  इसमें कोई गर्म चीज रखें।
  • बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक की चीजों पर बीपीए लेवल की जांच करें, इनके प्रयोग से बचें। 
  • प्लास्टिक वाली चीजों को जलाएं नहीं, इससे निकलने वाले धुएं में हानिकारक रसायन हो सकते हैं जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
  • पॉलिथीन की जगह पर कागज या कपड़े वाले झोले का प्रयोग करें।
  • घर में प्लास्टिक फ्री माहौल बनाने का प्रयास करें। 


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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है। 

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
 
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