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सेहत की बात: कहीं आपकी हार्ट बीट ज्यादा या कम तो नहीं? इससे गंभीर समस्याओं का हो सकता है खतरा, रहें सावधान
हेल्थ डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अभिलाष श्रीवास्तव Updated Sat, 03 Jun 2023 07:30 PM IST
हृदय, शरीर के सबसे महत्वपूर्ण और संवेदनशील अंगों में से एक है, जिसके विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस अंग में होने वाली कोई भी समस्या गंभीर और जानलेवा जटिलताओं का कारण बन सकती है। हृदय गति बढ़ने या घटने की समस्या भी ऐसी ही खतरनाक है, मेडिकल की भाषा में इस एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफआईबी) कहा जाता है। अनियमित रूप से दिल के धड़कने की समस्या कुछ लोगों में तो किसी भी समस्या का कारण नहीं बनती है, जबकि कुछ लोगों में यह स्ट्रोक और दिल के दौरे से लेकर हार्ट फेलियर तक के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है।
सामान्यतौर पर हमारा दिल एक मिनट में 60-100 बार तक धड़कता है, हालांकि कुछ स्थितियों जैसे बहुत खुशी-दुख, सरप्राइज की स्थिति में यह गति बढ़ सकती है। पर यदि अक्सर ही आपके दिल की धड़कन बढ़ी या कम रहती है तो इसके कारण गंभीर समस्याओं का खतरा हो सकता है, जिसको लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।
आइए दिल की धड़कन में अनियमितता को प्रबंधित करने के तरीकों के बारे में जानते हैं।
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कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या
- फोटो : iStock
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दिल की धड़कन में अनियमितता
दिल की धड़कनों में अनियमितता के कई कारण हो सकते हैं, जिनपर ध्यान दिया जाना चाहिए। कुछ स्थितियों में यह शरीर में किसी गंभीर समस्या का भी संकेत हो सकती है।
दिल का दौरा पड़ना या अगर पहले हार्ट अटैक हुआ है तो भी इसका जोखिम हो सकता है।
हृदय की धमनियों में रुकावट (कोरोनरी आर्टरी डिजीज)
हृदय की संरचना में परिवर्तन जैसे कार्डियोमायोपैथी की समस्या।
मधुमेह- उच्च रक्तचाप की समस्या।
COVID-19 से संक्रमण के कारण भी हो सकती है ये दिक्कत।
आइए जानते हैं कि दिल की धड़कन अगर अनियमित रह रही है तो इसके लिए क्या किया जाना चाहिए?
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हृदय की समस्याओं पर दें ध्यान
- फोटो : istock
संकेतों को नजरअंदाज न करें
डॉक्टर कहते हैं, एट्रियल फाइब्रिलेशन (एएफआईबी) सभी के लिए समस्याकारक हो यह जरूरी नहीं है। हालांकि कुछ स्थितियों में यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में इसके लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देते रहने की आवश्यकता है। एएफआईबी के लक्षणों में चक्कर आना, थकान, कमजोरी, सांस की तकलीफ और सीने में दर्द जैसी समस्या हो सकती हैं, खासकर जब आपको हृदय रोग हो।
यह दिक्कतें अगर बनी रहती हैं तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
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रक्तचाप की समस्या
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मधुमेह और रक्तचाप को नियंत्रित करें
एएफआईबी वाले लोगों में स्ट्रोक होने की आशंका लगभग पांच गुना अधिक होती है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप इस जोखिम को और भी बढ़ा देते हैं। इन दोनों समस्याओं को कंट्रोल करना बहुत आवश्यक है। आहार में चीनी और नमक दोनों की मात्रा कम करें। इसके अलावा नियमित रूप से दवाइयां लेते रहें और वजन को कंट्रोल में रखें। वजन बढ़ना इन दोनों समस्याओं के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।
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धुम्रपान से कई प्रकार के रोगों का खतरा
- फोटो : Pixabay
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धूम्रपान-शराब से बिल्कुल दूरी
धूम्रपान-शराब दोनों को हृदय के साथ पूरे शरीर के लिए खतरनाक माने जाते हैं भले ही आप इसका बहुत कम मात्रा में ही सेवन क्यों न करते हों। अध्ययनों से पता चलता है कि धूम्रपान करने वालों में एएफआईबी विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। साथ ही, धूम्रपान स्ट्रोक के खतरे को भी बढ़ा देता है।
इसी तरह शराब पीने को भी हृदय गति की समस्याओं से जोड़कर देखा जाता रहा है। इन दोनों से बिल्कुल दूरी बनाए रखें।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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