केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को साल 2023-24 के लिए देश का बजट पेश किया। आयकर में छूट से लेकर नई परियोजनाओं को लेकर सरकार के फैसलों की तारीफ की जा रही है। कोविड-19 से जूझते देश में इस बार हेल्थ सेक्टर को इस बजट से काफी आशा थी। केंद्रीय बजट में फार्मास्यूटिकल्स उद्योग द्वारा अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने तथा निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों द्वारा चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने पर स्पष्ट ध्यान दिया गया है। बजट में स्वास्थ्य के लिए कुल आवंटन सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.1 प्रतिशत है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के लिए बजट में कुल आवंटन 89,155 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 86,200 करोड़ रुपये से लगभग 0.34 प्रतिशत अधिक है। आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एबीडीएम) को 341.02 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह आवंटन वित्तवर्ष 23 के आवंटन से 70.51 प्रतिशत अधिक है, जो 200 करोड़ रुपये था।
इस बजट में देश को साल 2047 तक एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने, फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। बजट को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। बजट की अपेक्षा में विशेषज्ञों को अनुमान था कि सरकार हेल्थ केयर सेक्टर पर खर्च को जीडीपी का 2.5 प्रतिशत तक करेगी, पर यह लक्ष्य अब भी दूर ही है।
आइए मेडिकल विशेषज्ञों से समझते हैं कि उनके नजरिए से इस बार का बजट कैसा रहा है?
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के लिए बजट में कुल आवंटन 89,155 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के 86,200 करोड़ रुपये से लगभग 0.34 प्रतिशत अधिक है। आयुष्मान भारत राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एबीडीएम) को 341.02 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह आवंटन वित्तवर्ष 23 के आवंटन से 70.51 प्रतिशत अधिक है, जो 200 करोड़ रुपये था।
इस बजट में देश को साल 2047 तक एनीमिया मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलने, फार्मास्यूटिकल्स में अनुसंधान को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। बजट को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। बजट की अपेक्षा में विशेषज्ञों को अनुमान था कि सरकार हेल्थ केयर सेक्टर पर खर्च को जीडीपी का 2.5 प्रतिशत तक करेगी, पर यह लक्ष्य अब भी दूर ही है।
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