कोरोना वायरस का संक्रमण, रोग के दौरान और ठीक होने के बाद भी लोगों के लिए कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बना हुआ है। संक्रमण से ठीक होने के बाद भी लोगों में लंबे समय तक कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा रही हैं। लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड के अधिकतर मामलों में थकान-कमजोरी, कुछ लोगों को सांस फूलने, ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों से संबंधित दिक्कतें भी महसूस हुईं। पर हाल ही में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुछ रोगियों में लॉन्ग कोविड में अजीबो-गरीब लक्षण देखे हैं। ऐसे रोगियों को लोगों के चेहरे पहचानने में दिक्कत हो रही है।
लॉन्ग कोविड में फेस ब्लाइंडनेस की समस्या में लोगों को अपने करीबों लोगों को पहचानने में दिक्कत हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इसे न्यूरोलॉजिकल समस्या के तौर पर वर्गीकृत किया है, जिससे स्पष्ट होता है कि कोरोना वायरस दीर्घकालिक तौर पर न्यूरोलॉजिकल विकारों को भी बढ़ावा दे रहा है।
आवाज के साथ चेहरे को मैच करने में कठिनाई
अमेरिकन मीडिया में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण का शिकार रहे कई लोगों ने कुछ वर्षों बाद अपने परिवार के लोगों को पहचानने में कठिनाई होने की शिकायत की है। इसमें रोगियों को आवाज तो समझ आ रही है पर वह चेहरे से मैच नहीं कर रहा। एक रोगी का जिक्र करते हुए शोधकर्ताओं ने बताया- रोगी के मुताबिक ऐसे लग रहा था जैसे उसके पिताजी की आवाज़ किसी अजनबी के चेहरे से निकल रही थी।
लॉन्ग कोविड में प्रोसोपेग्नोसिया की समस्या
साइंस डायरेक्ट जर्नल में शोधकर्ता कहते हैं, अब तक माना जा रहा था कि कोविड-19 हृदय, फेफड़े, गुर्दे, त्वचा पर असर डाल रहा है पर लॉन्ग कोविड के रूप में कई लोगों में मस्तिष्क-न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के बारे में भी पता चला है। लॉन्ग कोविड वाले लोगों में इस तरह की दिक्कतें लंबे समय बनी रह सकती हैं।
फेस ब्लाइंडनेस या प्रोसोपेग्नोसिया असल में एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो चेहरे को पहचानने की हमारी क्षमता को कम कर देती है। इसके शिकार लोगों के लिए अपने जाने-पहचाने चेहरों को भी पहचानना कठिन हो जाता है।
अध्ययन में क्या पता चला?
डार्टमाउथ कॉलेज के शोधकर्ताओं के मुताबिक, लॉन्ग कोविड वाले 54 प्रतिभागियों के डेटा से पता चला है कि अधिकांश को विजुअल रिकॉग्नाइजेशन की दिक्कत हो रही थी। हालांकि दुनियाभर में कोविड संक्रमित रहे 2-3 फीसदी लोगों में ही अब तक लॉन्ग कोविड के इस तरह के लक्षण देखे गए हैं। वैज्ञानिकों ने कहा, इस स्थिति के सटीक कारण अब तक पता नहीं चल पाए हैं, लेकिन अनुसंधान में पाया गया है कि कोरोना का संक्रमण संभवत: मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में असामान्यताओं का कारण बन रहा है जो विजुअल इनपुट को बनाने में मदद करते हैं और चेहरे की पहचान में हमारी सहायता करते हैं।
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की दिक्कतों को मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर वायरस के प्रभाव से संबंधित माना जा सकता है। कोविड-19 को पहले भी न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से संबंधित पाया गया है। हालांकि अभी इस समस्या के कारणों को समझने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। फिलहाल अगर आप भी कोरोना से संक्रमित रहे हैं और इस तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो किसी विशेषज्ञ से जरूर मिलें।
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स्रोत और संदर्भ
Persistent prosopagnosia following COVID-19
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