कोरोना वायरस का संक्रमण देश में पिछले 15 दिनों से तेज गति से बढ़ता देखा जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि छह महीने में पहली बार तीन दिनों से लगातार तीन हजार के आसपास लोगों में संक्रमण की पुष्टि की जा रही है। कोरोना के जिस वैरिएंट (XBB.1.16) को बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, अध्ययनों में उसकी संक्रामकता दर काफी अधिक बताई जाती है।
पिछले एक महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या में उछाल आया है। क्या ये आंकड़े गंभीर स्थिति की तरफ संकेत हैं?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा शुक्रवार को जारी महामारी विज्ञान की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 28 दिनों में भारत में कोविड-19 से होने वाली मौतों में 114 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। वहीं संक्रमण के आंकड़े में 437 प्रतिशत का उछाल है। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट्स को गंभीर रोगों और मृत्यु का कारक नहीं माना जाता रहा है, पर ये आंकड़े चिंता जरूर बढ़ा रहे हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में बढ़ा संक्रमण
रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र से 27,000 से अधिक नए मामलों की सूचना मिली है, जो पिछले 28 दिनों की अवधि की तुलना में 152 प्रतिशत की वृद्धि है। इसमें भारत में उच्चतम आनुपातिक वृद्धि देखी गई है, जिसके बाद मालदीव (129 प्रतिशत) और नेपाल (89 प्रतिशत) का स्थान है।
इसी तरह भारत से कम से कम 62 मौतों की सूचना है, जिसका मतलब है कि प्रति एक लाख पर एक नई मौत के साथ 114 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के मामलों पर सभी देशों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, यह धीरे-धीरे नई चुनौती पैदा करता दिख रहा है।
क्या कहती हैं डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ?
डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 की तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव कहती हैं, 22 देशों से ओमिक्रॉन वैरिएंट XBB.1.16 के लगभग 800 सीक्वेंस हैं। अधिकांश सीक्वेंस भारत से हैं। XBB.1.16 की प्रोफाइलिंग वास्तव में XBB.1.5 के समान ही है। स्पाइक प्रोटीन में इसमें एक अतिरिक्त म्यूटेशनल म्यूटेशन जरूर है, जो प्रयोगशाला अध्ययनों में इसकी संक्रामकता में वृद्धि को दर्शाता है।
यह कुछ महीनों से कई देशों में बढ़ता देखा जा रहा है। डब्ल्यूएचओ भारत में नए ऑमिक्रॉन वैरिएंट XBB.1.16 की निगरानी कर रहा है, जो मामलों में अचानक वृद्धि के पीछे का कारण माना जाता है।
मृत्यु का बढ़ रहा है खतरा
अमर उजाला से बातचीत में ग्रेटर नोएडा के एक अस्पताल में कोविड केयर एक्सपर्ट डॉ श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं, अमूमन कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट और इसके जितने भी सब-वैरिएंट्स हैं इनकी संक्रामकता दर अधिक है पर गंभीर रोग-मृत्यु का खतरा डेल्टा जैसा नहीं है। इसके लक्षण भी हल्के ही देखे जा रहे हैं। पर राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो जहां जनवरी-फरवरी में हालात एकदम कंट्रोल थे, उससे तुलना में डेटा का बढ़ना स्वाभाविक है। XBB.1.16 की प्रकृति गंभीर रोगकारक नहीं है, पर बचाव सभी के लिए जरूरी है।
कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर जरूरी
डॉ श्रेय कहते हैं, XBB.1.16 वैरिएंट से संक्रमण के कारण खतरा सिर्फ कोमोरबिडिटी, कमजोर इम्युनिटी और उन लोगों को है जिनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। वैक्सीनेटेड लोगों को संक्रमण हो भी रहा है तो उनमें गंभीर लक्षण विकसित नहीं हो रहे। जब तक कोरोना के मामलों में स्पाइक दिख रहा है तब तक सभी लोगों को इससे बचाव के लिए निरंतर कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहने की आवश्यकता है।
यही एक तरीका है जिसके माध्यम से संक्रमण की रफ्तार को कम किया जा सकता है।
--------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।