हैदराबाद में महिला डॉक्टर का अपहरण, दुष्कर्म और जलाकर हत्या जैसी दरिंदगी पर अमर उजाला संवाद सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। महिला सुरक्षा पर आयोजित इस संवाद में जम्मू के प्रबुद्ध लोगों ने शिक्षा व्यवस्था पर भी चोट की। कहा कि शिक्षा में क्षरण से ही इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। इस वजह से पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए। सामाजिक दबाव का वातावरण तैयार करना होगा तभी समाज में अपराध रुकेंगे। कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि सरे बाजार दोषियों को सजा दी जानी चाहिए। इसे प्रभावी तौर पर लागू करने के लिए प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना जरूरी है।
-यह विचार आए सामने-
- घर से ही बच्चों में अच्छे संस्कार डालने की हो शुरुआत।
- न्यायिक व पुलिस प्रणाली में सुधार जरूरी ताकि त्वरित न्याय मिल सके।
- केवल सरकार इस प्रकार की घटनाएं नहीं रोक सकतीं। इसलिए सोच में बदलाव होना चाहिए।
- दोषियों को सार्वजनिक रूप से कड़ी से कड़ी और तय समय में कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
- महिला सम्मान के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
- केवल शिक्षा पर नहीं बल्कि चरित्र निर्माण पर भी शिक्षण संस्थाओं का हो जोर।
- बेटा-बेटी दोनों को क्या करना है और क्या नहीं, इसके बारे में अभिभावक जागरूक करें।
इस तरह की घटना समाज को आइना दिखाती है। हमारे देश में महिलाओं को पूजा जाता था। लेकिन नैतिकता की कमी के कारण हम अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं। कोई भी संस्थान नैतिकता नहीं सिखा सकता। यह हमारे भीतर से उत्पन्न होता है। हमें सोचना है कि समाज को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
-डॉ. परमेंद्र सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर- स्कास्ट जम्मू
आज के समय में शहरीकरण लोगों के लिए महत्व रखता है। लोग एक दूसरे को जानते नहीं हैं। पहले के समय में ऐसा नहीं था। इस तरह के अपराधों के पीछे शिक्षा की कमी भी जिम्मेदार है। इसके लिए कहीं न कहीं नई आर्थिक नीति भी जिम्मेदार है। इस तरह के अपराध रोकने के लिए महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना होगा।
- डॉ. गोविंद सिंह, विभागाध्यक्ष- पत्रकारिता, सेंट्रल यूनिवर्सिटी
सरकार द्वारा नई-नई योजनाएं तो बनाई जाती हैं लेकिन उन्हें सख्ती से लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। हमें नैतिक मूल्यों का पता होना चाहिए। इस तरह का काम करने वाले लोगों की मानसिकता खराब होती है। सोच में बदलाव लाना होगा।
-प्रो. चंचल डोगरा, पूर्व प्रिंसिपल-एमएएम कॉलेज
हम उस समाज से आते हैं जहां लड़कियों को हमेशा यह समझाया जाता है कि समाज में कैसे रहना है। इससे लड़कियों में आत्मविश्वास की कमी आती है। हमने कभी अपने बेटों को यह क्यों नहीं समझाया कि महिलाओं की इज्जत करो। हमने बायोलॉजिकल फैक्टर को साइकोलॉजिकल फैक्टर बना दिया है।
- प्रो. किरण बख्शी, पूर्व प्रिंसिपल, महिला कॉलेज परेड
हमें इस तरह के अपराध रोकने लिए सख्त कानून बनाने चाहिए। बाकी देशों में इस तरह के अपराधों के लिए कड़ी सजा दी जाती है। जिस कारण वहां इस तरह के अपराध हमारे देश के मुकाबले बहुत कम हैं। हमारे यहां कि न्यायिक प्रणाली बहुत लंबी है। इंसाफ के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता है।
- एमएस कटोच, निदेशक-कावा इंस्टीट्यूट
इस तरह की घटनाओं पर चर्चा करके हल निकाला जा सकता है। सीखने के लिए घर से बड़ा कोई संस्थान नहीं होता। पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शुरू करने से आपराधिक मानसिकता से बचा जा सकता है। अपराधों से निपटने के लिए पुलिस में महिलाओं के लिए अलग से विंग बनाया जाना चाहिए
- अशोक गुप्ता, निदेशक-एएसएल ट्यूटोरियल
सरकार इस तरह के अपराध नहीं रोक सकती। इसलिए आम नागरिक को जागरूक होना जरूरी है। घरों में प्राइवेसी आने के कारण अभिभावक बच्चों पर ध्यान नहीं देते और बच्चे पूरा दिन फोन पर लगे रहते हैं। इस कारण वे आपराधिक राह पर चले जाते हैं।
-डॉ. सुनीता बड़वाल, लेखिका
नैतिक मूल्य घर से शुरू होते हैं। सरकार द्वारा कानून बनाए जाते हैं लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जाता है। हमने देखा है कि बच्चे बुरी चीजों को जल्दी सीख जाते हैं। इसलिए हमें जमीनी स्तर पर इससे निपटने के लिए काम करना चाहिए।
- तनवी शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, महिला कॉलेज परेड
सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। महिलाओं की हर क्षेत्र में प्रतिभागिता होनी चाहिए। सख्ती से कानून लागू किए जाने चाहिए।
- डॉ. शशिकांत लखनपाल, शिक्षक-रिहाड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल
हमें अपराधों के लिए टेक्नोलॉजी को गलत नहीं ठहराना चाहिए। बल्कि इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि टेक्नालाजी का सही इस्तेमाल करके बच्चों को आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है। समाज के कमजोर वर्ग के जीवन स्तर में सुधार के लिए हमें कुछ करना चाहिए।
-डॉ. बच्चा बाबू, अस्सिटेंट प्रोफेसर, सीयूजे
हमें आने वाली पीढ़ी को सुधारने के लिए उनमें नैतिक मूल्यों को लाना होगा। अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को बताना होगा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। राष्ट्र निर्माण के प्रति बच्चों को जागरूक करना जरूरी है। बच्चों को खेल व अन्य पॉजीटिव गतिविधियों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- डॉ. एपी सिंह, वैज्ञानिक, स्कास्ट जम्मू
हैदराबाद में महिला डॉक्टर का अपहरण, दुष्कर्म और जलाकर हत्या जैसी दरिंदगी पर अमर उजाला संवाद सोमवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। महिला सुरक्षा पर आयोजित इस संवाद में जम्मू के प्रबुद्ध लोगों ने शिक्षा व्यवस्था पर भी चोट की। कहा कि शिक्षा में क्षरण से ही इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। इस वजह से पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए। सामाजिक दबाव का वातावरण तैयार करना होगा तभी समाज में अपराध रुकेंगे। कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि सरे बाजार दोषियों को सजा दी जानी चाहिए। इसे प्रभावी तौर पर लागू करने के लिए प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना जरूरी है।
-यह विचार आए सामने-
- घर से ही बच्चों में अच्छे संस्कार डालने की हो शुरुआत।
- न्यायिक व पुलिस प्रणाली में सुधार जरूरी ताकि त्वरित न्याय मिल सके।
- केवल सरकार इस प्रकार की घटनाएं नहीं रोक सकतीं। इसलिए सोच में बदलाव होना चाहिए।
- दोषियों को सार्वजनिक रूप से कड़ी से कड़ी और तय समय में कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
- महिला सम्मान के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
- केवल शिक्षा पर नहीं बल्कि चरित्र निर्माण पर भी शिक्षण संस्थाओं का हो जोर।
- बेटा-बेटी दोनों को क्या करना है और क्या नहीं, इसके बारे में अभिभावक जागरूक करें।
नैतिकता की कमी के कारण हम अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं
इस तरह की घटना समाज को आइना दिखाती है। हमारे देश में महिलाओं को पूजा जाता था। लेकिन नैतिकता की कमी के कारण हम अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं। कोई भी संस्थान नैतिकता नहीं सिखा सकता। यह हमारे भीतर से उत्पन्न होता है। हमें सोचना है कि समाज को कैसे मजबूत किया जा सकता है।
-डॉ. परमेंद्र सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर- स्कास्ट जम्मू
आज के समय में शहरीकरण लोगों के लिए महत्व रखता है। लोग एक दूसरे को जानते नहीं हैं। पहले के समय में ऐसा नहीं था। इस तरह के अपराधों के पीछे शिक्षा की कमी भी जिम्मेदार है। इसके लिए कहीं न कहीं नई आर्थिक नीति भी जिम्मेदार है। इस तरह के अपराध रोकने के लिए महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना होगा।
- डॉ. गोविंद सिंह, विभागाध्यक्ष- पत्रकारिता, सेंट्रल यूनिवर्सिटी
सरकार द्वारा नई-नई योजनाएं तो बनाई जाती हैं लेकिन उन्हें सख्ती से लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते। हमें नैतिक मूल्यों का पता होना चाहिए। इस तरह का काम करने वाले लोगों की मानसिकता खराब होती है। सोच में बदलाव लाना होगा।
-प्रो. चंचल डोगरा, पूर्व प्रिंसिपल-एमएएम कॉलेज
इस तरह के अपराध रोकने लिए सख्त कानून बनाने चाहिए
हम उस समाज से आते हैं जहां लड़कियों को हमेशा यह समझाया जाता है कि समाज में कैसे रहना है। इससे लड़कियों में आत्मविश्वास की कमी आती है। हमने कभी अपने बेटों को यह क्यों नहीं समझाया कि महिलाओं की इज्जत करो। हमने बायोलॉजिकल फैक्टर को साइकोलॉजिकल फैक्टर बना दिया है।
- प्रो. किरण बख्शी, पूर्व प्रिंसिपल, महिला कॉलेज परेड
हमें इस तरह के अपराध रोकने लिए सख्त कानून बनाने चाहिए। बाकी देशों में इस तरह के अपराधों के लिए कड़ी सजा दी जाती है। जिस कारण वहां इस तरह के अपराध हमारे देश के मुकाबले बहुत कम हैं। हमारे यहां कि न्यायिक प्रणाली बहुत लंबी है। इंसाफ के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता है।
- एमएस कटोच, निदेशक-कावा इंस्टीट्यूट
इस तरह की घटनाओं पर चर्चा करके हल निकाला जा सकता है। सीखने के लिए घर से बड़ा कोई संस्थान नहीं होता। पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को शुरू करने से आपराधिक मानसिकता से बचा जा सकता है। अपराधों से निपटने के लिए पुलिस में महिलाओं के लिए अलग से विंग बनाया जाना चाहिए
- अशोक गुप्ता, निदेशक-एएसएल ट्यूटोरियल
सरकार इस तरह के अपराध नहीं रोक सकती
सरकार इस तरह के अपराध नहीं रोक सकती। इसलिए आम नागरिक को जागरूक होना जरूरी है। घरों में प्राइवेसी आने के कारण अभिभावक बच्चों पर ध्यान नहीं देते और बच्चे पूरा दिन फोन पर लगे रहते हैं। इस कारण वे आपराधिक राह पर चले जाते हैं।
-डॉ. सुनीता बड़वाल, लेखिका
नैतिक मूल्य घर से शुरू होते हैं। सरकार द्वारा कानून बनाए जाते हैं लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जाता है। हमने देखा है कि बच्चे बुरी चीजों को जल्दी सीख जाते हैं। इसलिए हमें जमीनी स्तर पर इससे निपटने के लिए काम करना चाहिए।
- तनवी शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर, महिला कॉलेज परेड
सबसे पहले तो सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। महिलाओं की हर क्षेत्र में प्रतिभागिता होनी चाहिए। सख्ती से कानून लागू किए जाने चाहिए।
- डॉ. शशिकांत लखनपाल, शिक्षक-रिहाड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल
आने वाली पीढ़ी को सुधारने के लिए उनमें नैतिक मूल्यों को लाना होगा
हमें अपराधों के लिए टेक्नोलॉजी को गलत नहीं ठहराना चाहिए। बल्कि इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि टेक्नालाजी का सही इस्तेमाल करके बच्चों को आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है। समाज के कमजोर वर्ग के जीवन स्तर में सुधार के लिए हमें कुछ करना चाहिए।
-डॉ. बच्चा बाबू, अस्सिटेंट प्रोफेसर, सीयूजे
हमें आने वाली पीढ़ी को सुधारने के लिए उनमें नैतिक मूल्यों को लाना होगा। अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों को बताना होगा कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं। राष्ट्र निर्माण के प्रति बच्चों को जागरूक करना जरूरी है। बच्चों को खेल व अन्य पॉजीटिव गतिविधियों में जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
- डॉ. एपी सिंह, वैज्ञानिक, स्कास्ट जम्मू