बाबा बर्फानी की गुफा के पास बादल फटने से मची तबाही ने 1969 और 1996 में हुई त्रासदियों की याद ताजा कर दी है। पहलगाम में वर्ष 1969 में बादल फटने से आए सैलाब में 40 अमरनाथ यात्रियों की मौत हो गई थी। वहीं, अगस्त 1996 की त्रासदी में 250 यात्रियों की जान चली गई थी। 1996 की घटना अमरनाथ यात्रा इतिहास की सबसे खौफनाक और बड़ी त्रासदी है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के शुरुआती दिनों में अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमलों का खतरा था।
वर्ष 1993 में यात्रा पर पहला आतंकी हमला हुआ
जिसके चलते दर्शार्थियों की संख्या कम रहती थी। वर्ष 1993 में यात्रा पर पहला आतंकी हमला हुआ, लेकिन वर्ष में हालात बेहतर होने पर 1996 में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए। उन दिनों यात्रा रूट पर मौसम के सटीक पूर्वानुमान की सुविधा नहीं थी। 21 अगस्त से 25 अगस्त तक यात्रा मार्ग पर मौसम की कहर टूटा, जिसमें बारिश, भूस्खलन और बर्फबारी से करीब एक लाख यात्री अलग-अलग जगह पर फंस गए थे।
यात्रा को भविष्य में सुरक्षित बनाने के लिए कई व्यवस्थाएं करने की संस्तुति
अत्यधिक ठंड और मौसम की दुश्वारियों से करीब ढाई सौ यात्रियों की मौत हो गई थी। तत्कालीन नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने जांच अमरनाथ यात्रा त्रासदी के लिए इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. नितीश कुमार सेन गुप्ता को जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच के बाद डॉ. नितीष ने रिपोर्ट के जरिये अमरनाथ यात्रा को भविष्य में सुरक्षित बनाने के लिए कई व्यवस्थाएं करने की संस्तुति की ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
बचाव कार्य के चलते यात्रा पहलगाम, बालटाल और जम्मू से रोकी
श्री अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से हुए बड़े हादसे में करीब 15 लोगों की जान जाने और 35 से ज्यादा लोगों के लापता होने व बचाव कार्य के चलते पहलगाम, बालटाल और जम्मू तीनों जगह से यात्रा को सरकार ने अगले आदेश तक रोक दिया है। शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे हादसा होने से पहले करीब दस हजार श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके थे।
शिविर में भी छह हजार से ज्यादा श्रद्धालु ठहरे
हादसे के बाद यात्रा को रोक दिया गया है और यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर ठहराया जा रहा है। यात्रा के आधार शिविर पहलगाम, नुनवान में करीब बीस हजार श्रद्धालु ठहरे हुए हैं। वहीं जम्मू के भगवती नगर स्थित आधार शिविर में भी छह हजार से ज्यादा श्रद्धालु रुके हुए हैं।