महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है। आज सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना के बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर, विधायक दल के नए नेता अजय चौधरी, उद्धव सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई होगी। वहीं, बागी विधायकों को भी बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने विधायकों पर अयोग्यता की कार्रवाई पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस का जवाब देने के लिए बागी विधायकों को 12 जुलाई तक की मोहलत दी है। पहले आज यानी 27 जून की शाम 5:30 बजे तक ही विधायकों को जवाब देना था।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब 14 दिन तक महाराष्ट्र की सरकार ऐसे ही अधर में रहेगी? बागी विधायक गुवाहाटी के होटल में ही टिके रहेंगे या कुछ और होगा? आइए इसे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से समझते हैं...
आगे क्या कर सकते हैं बागी विधायक?
अश्विनी उपाध्याय ने कहा, 'एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। एक तरफ उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश महाराष्ट्र सरकार को दिया है तो दूसरी ओर उनके खिलाफ चल रही अयोग्यता की कार्रवाई को भी 12 जुलाई तक टाल दिया है।'
उपाध्याय आगे कहते हैं, 'शिंदे गुट के पास अभी राज्यपाल के पास जाने का विकल्प है। वह राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट की मांग कर सकते हैं। राज्यपाल भी फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकते हैं। मतलब 11 जुलाई से पहले संभव है कि फ्लोर टेस्ट हो जाए।'
अश्विनी उपाध्याय से हमने दूसरा सवाल पूछा कि कोर्ट में उद्धव गुट की तरफ के वकील ने कहा कि बागी विधायक फ्लोर टेस्ट करवा सकते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें यह छूट दी जाए कि वह फिर से सुप्रीम कोर्ट आ सकें। तो क्या वाकई में राज्यपाल 11 जुलाई से पहले फ्लोर टेस्ट हो सकता है? इसका जवाब देते हुए अधिवक्ता अश्चिनी उपाध्याय ने कहा, कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक नहीं लगाई है। बस उद्धव गुट को कहा है कि ऐसी स्थिति आने पर वह कोर्ट आ सकते हैं।
भाजपा ला सकती है अविश्वास प्रस्ताव
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय सिंह कहते हैं कि अब जक बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में उद्धव सरकार के अल्पमत में होने का एलान कर दिया है तो जल्द ही भाजपा की तरफ से उद्धव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।
अगर ऐसा होता है तो विधानसभा अध्यक्ष फ्लोर टेस्ट करवा सकते हैं। हालांकि, उद्धव ठाकरे फिलहाल फ्लोर टेस्ट से बचना चाहते हैं। उन्हें मालूम है कि अगर मौजूदा समय फ्लोर टेस्ट हुए तो वह बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उनकी सरकार गिर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्रवाई और डिप्टी स्पीकर नरहरि जेरवाल की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। अदालत ने शिंदे गुट, महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना की दलीलें सुनीं। इसके बाद कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर जवाब देने के लिए 12 जुलाई तक का वक्त तय किया। पहले डिप्टी स्पीकर की नोटिस पर 27 जून यानी आज शाम साढ़े पांच बजे तक ही बागी विधायकों को जवाब देना था। कोर्ट ने बागी विधायकों और उनके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए भी महाराष्ट्र सरकार को आदेश जारी किया है। इसके अलावा अगली सुनवाई तक यथास्थिति कायम रखने के लिए कहा है।
कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर कार्यालय के दस्तावेज भी मांगे
सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ बागी विधायकों के प्रस्ताव पर भी टिप्पणी की। कहा कि विधानसभा के सक्षम अधिकारी से जवाब मांगा जाएगा कि डिप्टी स्पीकर को अपने खिलाफ प्रस्ताव मिला था या नहीं? क्या उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है? ऐसे में तो सवाल ये उठेगा कि क्या डिप्टी स्पीकर अपने खिलाफ लाए गए मामले में जज बन गए। डिप्टी स्पीकर के वकील ने कहा कि ईमेल के माध्यम से भेजा गया निष्कासन का प्रस्ताव प्रामाणिक नहीं है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिप्टी स्पीकर कार्यालय के सभी दस्तावेज देखे जाएंगे।