खालिस्तान समर्थक अमृतपाल मोबाइल के जरिये अपना संदेश अपने अन्य साथियों तक पहुंचाने के लिए कोड वर्ड का भी इस्तेमाल करता था। वह अपने साथियों को भी इस बात की ट्रेनिंग देता था कि वे कैसे मोबाइल पर जरूरी संदेश कोड वर्ड के जरिये अपने साथियों तक पहुंचाएं, ताकि कोई जांच एजेंसी उनका फोन ट्रैप कर उनके संदेश के मायने न समझ पाए।
कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में एक रात रुकने के बाद ऐसा ही एक कोड वर्ड बलजीत कौर को भी दिया गया था। इस कोड वर्ड का इस्तेमाल बलजीत कौर को अमृतपाल और पपलप्रीत की उस स्कूटी को पटियाला तक पहुंचाने के दौरान करना था। बलजीत कौर ने इस काेड वर्ड के जरिये उस स्कूटी को ठिकाने तक पहुंचाया भी, मगर बाद में जब उसे कुछ गड़बड़ी होने का अंदेशा हुआ तो वह पटियाला से तुरंत निकल आई, जबकि वहां स्कूटी की सुपुर्दगी लेने वाली एक महिला ने बलजीत कौर को वहीं रुककर उससे मिलने के लिए कहा था।
बताते चलें कि पंजाब से भागने के बाद खालिस्तान समर्थक अमृतपाल अपने एक साथी पपलप्रीत के साथ बलजीत कौर के घर 19 मार्च की रात को रुका था और सुबह उत्तराखंड के लिए निकल गया। बलजीत कौर पपलप्रीत के संपर्क में थी। घरवालों की मानें तो बलजीत का सीधे अमृतपाल से कोई संपर्क नहीं था। दोनों स्कूटी पर बलजीत कौर के घर आए थे और बलजीत कौर को यह टास्क दिया गया था कि वे सुबह उनके जाने के बाद इस स्कूटी को पटियाला पहुंचा दे।
कोड वर्ड था : बुआ जी रिनू बोल रही हूं, चाबी मैट के नीचे है
सूत्रों के अनुसार जब अमृतपाल व उसका साथी पपलप्रीत स्कूटी बलजीत कौर के घर छोड़कर निकले तो उस स्कूटी को पटियाला स्थित दुख निवारण गुरुद्वारे की पार्किंग में पहुंचाने का जिम्मा बलजीत कौर को ही दिया गया था। उसे पर्ची पर एक मोबाइल नंबर लिखकर दिया गया। जिस पर वहां पहुंचकर उसे कोड वर्ड में बोलना था, ‘बुआ जी मैं रिनू बोल रही हूं, स्कूटी खड़ी है चाबी मैट के नीचे है।’ जब बलजीत कौर वहां स्कूटी लेकर पहुंची और दिए गए संबंधित मोबाइल नंबर पर फोन कर कोड वर्ड बोला तो दूसरी ओर से मोबाइल पर किसी महिला ने कहा कि वह अभी वहीं रुके और उससे मिलकर जाए। वह दो मिनट में पहुंच जाएगी, मगर बलजीत कौर ने उसे मिलने से इनकार कर दिया और तुरंत शाहाबाद के लिए रवाना हो गई।
बलजीत के घर एक बैग छोड़ गया था अमृतपाल
बलजीत कौर के घर पहुंचा अमृतपाल दो बैग लेकर आया था। एक बैग वह वहीं छोड़ गया था और दूसरा अपने साथ ले गया था। जाते समय उसने कहा था कि यह बैग उसके दो-तीन आदमी उसके घर से ही ले जाएंगे। ऐसे में बलजीत कौर व उसका भाई हरजिंद्र घबरा गए। बताया जा रहा है कि संबंधित बैग को बलजीत के भाई हरजिंद्र ने एसपी कुरुक्षेत्र सुरेंद्र सिंह भौरिया के हवाले कर दिया था। उस बैग में दो सिख चौले व तीन श्री साहिब ( छोटी कृपाण ) मिली थी।
उधर, इस मामले के खुलासे के बाद पंजाब पुलिस की एक टीम उसी दिन से शाहाबाद में डेरा डाले हुए है। पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र सिंह भौरिया ने भी माना कि पंजाब पुलिस अभी भी क्षेत्र में मौजूद है और निगरानी रखे हुए है और लगातार कुरुक्षेत्र पुलिस के संपर्क में है। एसपी एसएस भौरिया का कहना है कि पंजाब पुलिस को हर संभव सहयोग किया जा रहा है। दूसरी ओर, सोमवार को बलजीत कौर की रिमांड अवधि खत्म हो जाएगी। उसकी जमानत कराने के लिए परिजनों ने तैयारी शुरू कर दी है। वे भी यहां से सोमवार को पंजाब के लिए रवाना होंगे।