कपड़ा व्यापारी के बेटे का अपहरण करने वाले आदित्य सिंह व सूरज सिंह खुद के बुने जाल में उलझ गए। अखंड के अपहरण के बाद आरोपियों ने रुधौली के एक चाय दुकानदार से फोन मांगा और कहा कि घर बात करनी है। चाय विक्रेता के मोबाइल नंबर से ही आरोपियों ने कपड़ा व्यवसायी को फोन लगाया और 50 लाख रुपये की फिरौती मांग ली। फिरौती की धनराशि लेने के लिए दूसरा फोन एक जूस विक्रेता के मोबाइल नंबर से किया था। तीसरा फोन लूट के मोबाइल से किया था। एसटीएफ ने इन सभी मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लिया और गहनता से छानबीन करके आरोपियों तक पहुंच गई।
सामान पैक करने में इस्तेमाल टेप से बांधा चेहरा
अपहर्ताओं ने बालक के साथ बर्बरता भी की थी। आंख, सिर और चेहरे को सामान पैक करने में इस्तेमाल किए जाने वाले टेप से बांध दिया था। दोनों हाथ पीछे करके कपड़े से बांधे थे। इसी हालत में बालक अखंड आठ दिनों तक पड़ा रहा। बरामदगी के समय जब एसटीएफ गोरखपुर इकाई के प्रभारी निरीक्षक सत्य प्रकाश सिंह कमरे में दाखिल हुए तो बालक डर गया।
कांपते हुए कहा कि मुझे मत मारिए। इस पर प्रभारी निरीक्षक ने ढांढस बंधाया और कहा कि बेटा पुलिस आई है। आपको छुड़ा लिया है। प्रभारी निरीक्षक व उनकी टीम के सदस्यों ने बालक के सिर व चेहरे से टेप हटाया, फिर काले व सफेद कपड़े से बंधे हाथों को मुक्त किया। बालक के कान के पास बंधे टेप को ब्लेड से काटना पड़ा।
कांपते हुए कहा कि मुझे मत मारिए। इस पर प्रभारी निरीक्षक ने ढांढस बंधाया और कहा कि बेटा पुलिस आई है। आपको छुड़ा लिया है। प्रभारी निरीक्षक व उनकी टीम के सदस्यों ने बालक के सिर व चेहरे से टेप हटाया, फिर काले व सफेद कपड़े से बंधे हाथों को मुक्त किया। बालक के कान के पास बंधे टेप को ब्लेड से काटना पड़ा।