देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों के करीब 60 जिलों में नक्सलवाद अब भी किसी न किसी रूप में अपनी मौजूदगी समय समय पर दर्ज कराता रहता है। नक्सली अपने जंगलों में बाहरियों के प्रवेश के विरोधी हैं। प्राकृतिक संपत्तियों के व्यावसायिक दोहन से उनका बैर है और उनका मानना है कि जंगलों में आने वाले शहरी लोग न सिर्फ उनके जीवन में जहर घोल रहे हैं, बल्कि उनकी बरसों से चली आ रही पंरपराओं को नष्ट कर रहे हैं। ये नक्सली बरसों तक जंगल में लड़ते रहे, फिर ये शहरों में आकर शहरियों से उनके हिसाब से निपटने की कोशिशें करने लगे।