हिंदी सिनेमा में दो तरह के कलाकारों से अक्सर सामना होता है। एक वे जो फिल्म निर्माताओँ की हर हां में हां मिलाते हैं और सिस्टम में बने रहने के जुगाड़ में लगे रहते हैं। और, दूसरे वे कलाकार जिनके लिए अपना स्वाभिमान पहले होता है, काम मिलना न मिलना बाद में। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता फिल्म ‘दादा लखमी’ बनाने वाले कलाकार यशपाल शर्मा की गिनती दूसरी जमात के कलाकारों में होती है। 25 साल हो गए उनको हिंदी सिनेमा में अभिनय करते करते लेकिन उनकी खुद्दारी और वक्त की पाबंदी आज भी उनकी पहचान है और इसका एक नमूना फिर मुंबई की मीडिया को देखने को मिला उनकी अपनी ही फिल्म ‘छिपकली’ के बीती शाम हुए कार्यक्रम में।
दरअसल, यशपाल शर्मा जब कार्यक्रम में आए और उन्होंने माइक हाथ में थामा तो उसमें बराबर आवाज नहीं आ रही थी। आते ही यशपाल शर्मा ने सबसे देरी के लिए माफी मांगते हुए कहा, 'यह कार्यक्रम के आयोजक की लापरवाही है जिसकी वजह से देरी हुई है। इसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से सबसे माफी मांगता हूं।’ फिर उन्होंने देखा बैठने की व्यवस्था नहीं है तो वह नीचे ही बैठ गए, उनके नीचे बैठने के बाद जैसे ही लोगों ने आनन फानन में कुर्सियां लगानी शुरू की तो यशपाल शर्मा भी कुर्सियां लगाने में मदद करने लगे।
'छिपकली' यशपाल शर्मा के करियर की ऐसी पहली फिल्म है जिसमें वह काफी अलग किरदार निभा रहे हैं। यशपाल शर्मा कहते हैं, 'फिल्म 'छिपकली' बहुत ही बेहतरीन फिल्म है। मैंने अब कब कई फिल्मों में काम किया है लेकिन ऐसा किरदार किसी भी फिल्म में नहीं निभाया है। स्टार्स के साथ बड़ी बड़ी फिल्में करके नाम और पैसा सब कुछ कमा लिया,लेकिन एक कलाकार के तौर पर इस फिल्म में काम करके जो खुशी मिली है, वैसी खुशी इससे पहले कभी भी किसी फिल्म में काम करके नहीं मिली।'
फिल्म के शीर्षक 'छिपकली' के बारे में पूछने पर यशपाल शर्मा ने कहा, 'हम जो भी कर्म करते हैं,ऐसा माना जाता है कि कोई तीसरा आदमी है, जो सब कुछ देख रहा है। छिपकली को फिल्म में एक प्रतीकात्मक तौर पर दिखाया गया है। छिपकली सबकी बातें सुनती है और सावधान भी करती है। यह फिल्म बॉलीवुड की दिशा और दशा बदल देगी, यह बात गर्व से नहीं कर रहा। अब तक जो भी काम किया सितारों के साथ पहचान और पैसा मिल जाता है, लेकिन ऐसी फिल्म में पहली बार काम करने का मौका मिला है, जिससे दिल से खुश हूं।'