सौरभ शुक्ला हिंदी फिल्म जगत के उन कलाकारों में हैं जो प्रत्येक जॉनर की फिल्म में फिट बैठने की काबिलियत रखते हैं। फिल्म चाहें कॉमेडी से भरपूर हो या फिर क्रिमिनल ड्रामा, सौरभ शुक्ला अपने अभिनय से वाह-वाही बटोर ही लेते हैं। 5 मार्च 1963 को गोरखपुर में जन्मे सौरभ शुक्ला फिल्मों के साथ ही टीवी और थियेटर अभिनेता के साथ ही निर्देशक के तौर पर भी मशहूर हैं। 26 वर्ष पूर्व फिल्म 'बैंडिट क्वीन' से करियर की शुरुआत करने वाले सौरभ शुक्ला लगातार फिल्मों में सक्रिय हैं। आज हम उनके 10 मुख्य किरदारों के बारे में बताते हैं जो लोगों के दिलों में ताजा है।
1.सत्या (1998)
राम गोपाल वर्मा निर्देशित इस फिल्म को सौरभ शुक्ला और अनुराग कश्यप ने लिखा था। लेखन के साथ ही सौरभ शुक्ला ने इसमें कल्लू मामा का अहम किरदार भी अदा किया था। बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म सफल साबित हुई थी। वहीं इस फिल्म ने कई पुरस्कार भी अपने नाम किए। इस गैंगस्टर ड्रामा फिल्म में सौरभ शुक्ला ने गंभीर किरदार अदा किया था और अपने किरदार से सभी का मन मोह लिया था। यह फिल्म लीड कलाकारों के साथ ही सौरभ शुक्ला के लिए भी टर्निंग प्वाइंट साबित हुई और इंडस्ट्री में उन्हें एक खास पहचान मिल गई। आज भी यह फिल्म कल्ट फिल्म के तौर पर देखी जाती है।
2.नायक (2001)
इस फिल्म में सौरभ शुक्ला, राजनेता अमरीश पुरी के खास आदमी के तौर पर नजर आते हैं जो उनके सभी गलत कामों में उनका साथ देते हैं। फिल्म में उनका नाम पांडुरंगा है। अमरीश पुरी, अनिल कपूर और परेश रावल की मौजूदगी में भी उन्होंने अपने अभिनय से सभी लोगों को खूब हंसाया। वह एक गुंडे के तौर पर नजर आते हैं जो बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देते हैं।
3.बर्फी (2012)
प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर अभिनीत यह फिल्म अपने कलाकारों के अभिनय के लिए आज भी याद की जाती है। फिल्म में सौरभ शुक्ला ने सुधांशु दत्ता का किरदार अदा किया था। इस फिल्म का निर्देशक 2012 में अनुराग बासु ने किया था। यह एक कॉमेडी ड्रामा फिल्म है जिसकी पृष्ठभूमि 1970 के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में उन्होंने एक पुलिस अफसर का किरदार अदा किया है जो बर्फी (रणबीर कपूर) के पीछे पड़ा होता है। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के आईफा अवॉर्ड के लिए नामांकित किया गया था।
4.जॉली एलएलबी (2013)
साल 2013 में रिलीज हुई इस फिल्म में सौरभ शुक्ला द्वारा निभाए किरदार को उनके करियर का सर्वोत्तम प्रदर्शन भी कह सकते हैं। इस फिल्म के लिए उन्होंने सहायक अभिनेता के तौर पर राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किया था। फिल्म में वह जज सुंदरलाल त्रिपाठी के किरदार में हैं। शुरुआत में वह एक ऐसे जज के किरदार में दिखते हैं जो कि अपने काम को लेकर गंभीर नहीं दिखता है लेकिन मौका मिलते ही वह अपने पेशे की गरिमा का मान रखता है और एक केस का समाधान तलाशने के लिए कई अतरंगी कदम उठाता है।