बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नंदा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। अपनी दमदार एक्टिंग और खूबसूरती की वजह से अपने फैंस के दिलों पर राज करती थीं। एक्ट्रेस का जन्म 8 जनवरी सन् 1939 में हुआ था, लेकिन 25 मार्च साल 2014 में 75 साल की उम्र में एक्ट्रेस ने दुनिया को अलविदा कह दिया। नंदा ने महज पांच साल की उम्र में अभिनय की दुनिया में कदम रख दिया था। एक्ट्रेस ने जब काम शुरू किया था तब इंडस्ट्री में उनकी छवि 'छोटी बहन' की बन गई थी। नंदा उस समय फिल्म के लीड कलाकार की छोटी बहन का रोल प्ले करती थीं।
अपने करियर के दौरान अभिनेत्री ने कई सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय का जादू दिखाया। 'जब-जब फूल खिले', 'गुमनाम' और 'प्रेम रोग' जैसी हिट फिल्मों में नंदा ने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। नंदा की रुचि पहले से फिल्मों में नहीं थी। एक्ट्रेस आजाद हिंद फौज में जाना चाहती थीं, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। फिल्मों में नंदा की एंट्री की कहानी काफी दिलचस्प है। एक्ट्रेस जब पांच साल की थीं और स्कूल से घर आईं तब उनके पिता ने उनसे कहा कि तुम कल तैयार रहना। फिल्म के लिए तुम्हारी शूटिंग है, जिसके लिए तुम्हारे बाल काटने होंगे।
दरअसल,उनके पिता विनायक दामोदर मराठी फिल्मों के अभिनेता और डायरेक्टर थे। एक्ट्रेस पिता की बाल काटने वाली बात पर नाराज हो गईं। उन्होंने कहा कि मुझे शुटिंग नहीं करनी है। इसके बाद उनकी मां ने उन्हें काफी समझाया और जैसे-तैसे उन्हें शूटिंग के लिए राजी कराया। फिल्म की शूटिंग पूरी भी नहीं हुई थी कि इस बीच उनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद नंदा के घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई।
घर का सारा बोझ नंदा के छोटे कंधों पर आ गया। घर की हालत सुधारने के लिए उन्होंने मजबूरी में फिल्मों में काम करने का फैसला लिया। अपने शुरुआती दौर में उन्होंने रेडियो और स्टेज किया और घर की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद नंदा महज 10 साल की उम्र में वह मराठी फिल्मों में काम करने लगीं। नंदा को फिल्म ‘कुलदेवता’ के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विशेष पुरस्कार से नवाजा था। इस फिल्म का निर्देशन दिनकर पाटिल ने किया था।
इसके बाद उन्होंने साल 1959 में आई फिल्म 'छोटी बहन' में राजेंद्र कुमार की अंधी बहन का रोल प्ले किया था। फिल्म में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था। एक्ट्रेस ने राजेंद्र कुमार के साथ फिल्म 'धूल का फूल' भी की यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। इसके बाद उनका करियर बुलंदियों पर पहुंचा गया। साल 1960 में आई फिल्म 'काला बाजार' उन्होंने एक बार फिर देवआनंद की बहन का किरदार निभाया।