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Manoj Bajpayee: 'न तो हीरो लगते हो न ही विलेन..', कास्टिंग असिस्टेंट्स का बर्ताव याद कर भावुक हुए मनोज बाजपेयी
एंटरटेनमेंट डेस्क, अमर उजाला Published by: निधि पाल Updated Tue, 30 May 2023 09:30 AM IST
जब भी कभी एक्टिंग और ड्रामा के एक कंप्लीट स्कूल की बात होती है तो मनोज बाजपेयी का नाम भी लिया जाता है। उनके लिए यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि अभिनेता अपने आप में एक्टिंग का एक स्कूल हैं। उनकी गिनती हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में की जाती है। एक से बढ़कर एक फिल्में, एक्शन, ड्रामा के लिए मनोज बाजपेयी जाने जाते हैं। हाल ही में उनकी फिल्म सिर्फ एक बंदा काफी है जी5 पर रिलीज हुई है। इस फिल्म को दर्शकों का बहुत प्यार मिल रहा है। अभिनेता भी अपनी फिल्म का जोर-शोर से प्रमोशन कर रहे हैं और लोगों के तमाम सवालों के भी जवाब दे रहे हैं।
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मनोज बाजपेयी
- फोटो : सोशल मीडिया
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हाल ही में मनोज बाजपेयी ने एकबार फिर से सिनेमा में अपने संघर्ष को याद किया है। उन्होंने कहा है कि सिनेमा के लिए यह सफर आसान नहीं था, क्योंकि एक समय ऐसा था जब वह रिजेक्शन और स्ट्रगल से थक चुके थे और घर लौटने के लिए तैयार थे। दिल्ली में अपने थिएटर के दिनों को याद करते हुए अभिनेता ने कहा, उन्होंने 10 साल तक थिएटर किया तब तक उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं थे।
बंदा फिल्म में मनोज बाजपेयी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
मनोज बाजपेयी ने आगे कहा, स्ट्रगल ने हमें कभी परेशान नहीं किया। हम सब एक साथ रहते थे, और हर दिन 5-6 किमी चलते थे, लेकिन हम खुश थे क्योंकि हम परफॉर्म कर रहे थे। एक बार जब मैं मुंबई में था तो वहां थिएटर की अनुपस्थिति ने मुझे काफी प्रभावित किया है। उस वक्त मेरे पास पैसे नहीं होते थे और फिजिकल इश्यूज भी थे।
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मनोज बाजपेयी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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मनोज बाजपेयी ने इस दौरान आगे बताया कि एकबार ऑडिशन की कतार में बहुत सारे लोग खड़े थे और असिस्टेंट हम सभी से एक ही लहजे में बात कर रहा था। मुझे लगता था कि मैंने थिएटर किया है, बैंडिट क्वीन का हिस्सा रहा हूं और यहां एक शख्स मेरे साथ इतना बुरा बर्ताव कर रहा है। उस समय मुझे लगा कि मैं शायद इस भ्रम में हूं कि मैं एक अच्छा अभिनेता हूं। मुझे काम भी नहीं मिल रहा था और मैंने तय किया कि अगर अगले हफ्ते तक कुछ नहीं हुआ तो मैं वापस चला जाऊंगा और अब यह मेरे लिए नहीं है।
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मनोज बाजपेयी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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नेशनल फिल्म अवॉर्ड विनर ने आगे कहा कि कुछ लोग उनके लुक्स पर कमेंट करते थे, कभी-कभी तो उनके चेहरे पर भी। उन्होंने कहा- 'चेहरे पे ही बोल देते थे। वैसे अच्छा हुआ बोल देते थे, मौका नहीं दिया कि सोचूं के कभी बड़ा हीरो बनूंगा। लोग कमेंट करते थे कि आप न तो हीरो लगते हैं और न ही विलेन, इसलिए फिल्मों में हमेशा मुझे विलेन के सहयोगी के रूप में रखते थे, यहां तक कि हीरो के दोस्त के रूप में भी नहीं रखा जाता था।'
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