कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनने भर से रूह कांप जाती है। कैंसर से बॉलीवुड स्टार्स भी अछूते नहीं रहे। इस बीमारी से जूझने वाले कुछ स्टार्स ने इससे जंग जीती तो कुछ ने अपनी जान गंवा दी। सरफरोश, दिलजले, बॉम्बे, भाई, हम साथ-साथ हैं और 'कल हो न हो' जैसी शानदार फिल्मों में काम कर चुकीं सोनाली बेंद्रे भी कैंसर का सामना कर चुकी हैं। हाल ही में सोनाली बेंद्रे एक समारोह में मुस्कुराते हुए हर किसी के साथ सेल्फी खिंचवाती नजर आईं।
मीडिया से बातचीत के दौरान जब सोनाली से सवाल पूछा गया कि इतने लंबे करियर के बाद भी वह प्रासंगिक हैं और लोग उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए बेताब रहते हैं तो उन्हें कैसा लगता है? इस सवाल पर सोनाली ने हंसते हुए कहा, 'मैं तो बहुत आभार व्यक्त करती हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि दर्शकों ने हमेशा से ही मुझे बहुत प्यार दिया। जिस तरह से मेरा करियर बना, अगर यह प्यार नहीं मिलता तो मैं आगे नहीं बढ़ पाती। एक समय था, जब लोग कहते थे कि मुझमें अभिनय करने की क्षमता है, लेकिन उसके अनुसार फिल्में नहीं मिलती थीं तो कई बार निराशा होती थी। मैंने बहुत काम किया, उनमें कुछ अच्छी फिल्में रहीं, कुछ बहुत बुरी भी रहीं, लेकिन मैंने यहां पहचान बनाई, कई दोस्त और अपना परिवार बनाया। इसलिए जब मुझे यह प्यार मिलता है तो मैं उसका सम्मान करती हूं।'
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सोनाली बेंद्रे से जब यह सवाल पूछा गया कि ऐसे बहुत से कलाकार हैं, जो यह नहीं कह पाते कि उन्होंने अपने करियर में बहुत सी बुरी फिल्में भी कीं। सोनाली ने जवाब दिया, 'सच है कि मैं बहुत सी फिल्में कर सकती थी, लेकिन नहीं कीं। मैंने वह चयन अपने लिए किया था, चाहे उसके जो कारण रहे हों। मेरा मानना है कि चयन करना हमारे हाथ में होता है। मुझे अपने निर्णयों पर कोई पछतावा नहीं है। मैंने वाकई कुछ बुरी फिल्में कीं, क्योंकि मुझे उनके अच्छे पैसे मिले थे। तब मुझे पैसों की आवश्यकता थी, तो मैंने वे फिल्में कर लीं। वे फिल्में नहीं चलीं तो मैंने सीखा कि मुझे क्या नहीं करना चाहिए। यह बहुत बड़ी सीख होती है।'
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जब अभिनेत्री से पूछा गया कि क्या आपके संघर्ष पर बायोपिक बननी चाहिए? कैंसर को हराने वाली सोनाली नहीं चाहतीं कि उन पर बायोपिक बने। वह कहती हैं, 'मुझे लगता है उसमें कोई मनोरंजन नहीं होगा। मैं खुश होती हूं, जब लोग कहते हैं कि मेरी कहानी प्रेरणादायक है, पर मुझे ऐसा नहीं लगता है। हमारे देश में इतनी सारी महिलाएं हैं, जो इतनी भाग्यशाली नहीं हैं कि अपनी मर्जी से कुछ निर्णय ले पाएं। उन्हें बहुत सी चीजों से गुजरना पड़ता है। एक मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी लड़ना पड़ता है। मैं ऐसी जगह पर हूं, जहां मैं चुन सकती हूं। मां बनने के बाद मैं काम पर नहीं जाना चाहती थी, तो नहीं गई, लेकिन हर किसी के पास यह सुविधा नहीं होती है। मेरे लिए ऐसी महिलाओं की कहानियां प्रेरणात्मक हैं।'
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