अमर उजाला से एक्सक्लूसिव बातचीत में इम्तियाज कहते हैं, “हिंदी सिनेमा में अभिनेता हों या निर्देशक, लेखकों के नामों का जिक्र बहुत कम करते हैं। मुझे अन्ना के किरदार की लाइनें तक अब तक याद हैं। ‘ना भाई ना बहन ना बेटा, धंधे के मामले में कोई किसी का भाई नहीं, कोई किसा का बेटा नहीं। करन को चुप रहना होगा या जाना होगा। उसको अपनी बोट पे ले जा, समझा, नहीं समझे तो गोली मार दे।’, ये अन्ना के किरदार का असली खाका है। ये संवाद मुझे 30 साल बाद अब भी याद है तो इसलिए क्योंकि मैंने अन्ना को गढ़ा है, क्रिएट किया है।”