फिल्म निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर के छोटे भाई आदित्य रॉय कपूर को फिल्म ‘आशिकी 2’ ने हिंदी सिनेमा का सुपरहिट रोमांटिक सितारा बना दिया। फिर फिल्म ‘मलंग’ से उनकी छवि अब एक्शन हीरो की भी बननी शुरू हुई है। इसी श्रेणी की फिल्म ‘राष्ट्रकवच ओम’ हालांकि फ्लॉप रही लेकिन अब फिल्म ‘गुमराह’ में पहली बार डबल रोल कर रहे आदित्य को उम्मीद है कि उनका ये माचो अवतार दर्शकों को जरूर पसंद आएगा। आदित्य से ‘अमर उजाला’ की एक खास बातचीत..
'गुमराह' नाम हिंदी सिनेमा में रहस्यमयी फिल्मों से पहले भी जुड़ा रहा है, इस नई ‘गुमराह’ की राह क्या है?
हां, इससे पहले भी 'गुमराह' नाम से फिल्में बन चुकी हैं। लेकिन इनमें से एक भी मैंने देखी नहीं है। मै फिल्में बहुत कम ही देखता हूं। महेश भट्ट ने संजय दत्त और श्रीदेवी को लेकर 'गुमराह' बनाई। बी आर चोपड़ा ने भी 'गुमराह' बनाई और एक ‘गुमराह’ सन 76 में आई जिसमें सुभाष घई ने अभिनय किया है। हमारी 'गुमराह' एक क्राइम थ्रिलर फिल्म है। पहली बार दोहरी भूमिका निभा रहा हूं इस फिल्म में और इसे लेकर मैं बहुत ज्यादा उत्साहित हूं।
आपके दादा रघुपत रॉय कपूर फिल्म निर्माता रहे हैं, तो कह सकते हैं कि सिनेमा आप तीनों भाइयों को विरासत में मिला?
दादाजी लाहौर से यहां आए थे, तीन चार फिल्में भी बनाईं लेकिन वे चली नहीं। डैडी कुमुद रॉय कपूर का रुझान फिल्मों की तरह कभी रहा ही नहीं। हम यानी सिद्धार्थ रॉय कपूर, करण रॉय कपूर और मैं बड़े हुए तो मनोरंजन उद्योग के अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े। मैं तो शौकिया तौर पर चैनल वी में वीजे बन गया था। करण ने भी टीवी सीरियल 'जस्ट मोहब्बत' से एक्टिंग की शुरुआत की। बड़े भाई सिद्धार्थ भी पहले पहल टीवी से ही जुड़े।
वैसे ख्वाब सुनते हैं आपके क्रिकेटर बनने के रहे हैं?
हां, मैंने बचपन में क्रिकेट खूब खेला है। लेकिन, एक बार वीजे बन गया तो वह सब छूट गया। लेकिन शूटिंग के दौरान अब भी हम क्रिकेट खूब खेलते हैं। ये पढ़कर अक्षय सर को अच्छा नहीं लगेगा लेकिन फिल्म 'एक्शन रिप्ले' की शूटिंग के दौरान जब हम क्रिकेट खेल रहे थे तो अक्षय कुमार मेरी पहली ही गेंद पर क्लीन बोल्ड हो गए थे। फिर इसका बदला उन्होंने दूसरी पारी में मेरी गेंद पर छक्का लगाकर लिया।
फिल्मों में पहला ब्रेक कैसे मिला?
चैनल वी में काम करने के दौरान मेरे पास ऑडिशन के लिए खूब बुलावे आते थे। आमतौर पर मैं इनमें जाता नहीं था। फिर एक दिन लगा कि लोग बुला रहे हैं तो जाकर देखना चाहिए। उस दिन विपुल शाह की फिल्म 'लंदन ड्रीम्स' का ऑडिशन चल रहा था। शूटिंग लंदन में होनी थी और मुझे चुन भी लिया गया। इसके बाद 'एक्शन रिप्ले' और 'गुजारिश' जैसी फिल्में मेरी अभिनय की पाठशाला बनीं।