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Malini Awasthi: गिरमिटिया मजदूरों की मेहनत को मालिनी अवस्थी का सलाम, नीदरलैंड में जमेगी लोकगीतों की महफिल
अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: साक्षी Updated Thu, 01 Jun 2023 04:10 PM IST
सूरीनाम में गिरमिटिया मजदूरों के पहुंचने की 150वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर लोक गायिका मालिनी अवस्थी नीदरलैंड में होने वाले एक संस्कृति कार्यक्रम में भाग लेंगी। मालिनी अवस्थी अब तक कई बार नीदरलैंड जा चुकी हैं और कहती हैं कि जब भी वह वहां जाती हैं तो लोगों से मिलकर अपनेपन का एहसास होता है, लेकिन इस बार वहां के सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने को लेकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
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मालिनी अवस्थी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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आज से करीब 150 साल पहले उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 हजार मजदूरों को पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट पर गुलाम बनाकर सूरीनाम ले जाया गया। लेकिन वे वहां से फिर वह वापस नहीं आ पाए। नई धरती, नया जीवन और तमाम संघर्ष के दौरान इन लोगों की पहचान और सब कुछ बदल गया, लेकिन एक चीज जो नहीं बदली वह था, भारतीय रीति रिवाज, संस्कृति और परंपराओं से जुड़े रहना। इस मौके की 150वीं वर्षगांठ पर पद्मश्री गायिका मालिनी अवस्थी को नीदरलैंड में गाने के लिए आमंत्रित किया गया है।
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मालिनी अवस्थी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
गायिका मालिनी अवस्थी लोक गायिका है। वह भोजपुरी, अवधी, हिंदी भाषाओं में गा चुकी हैं। फिल्मों में भी उनके गीत खूब लोकप्रिय हुए, खासतौर से उनकी पहली फिल्म 'भोले शंकर' में गाया उनका छठ गीत। वह ठुमरी और कजरी गीतों के लिए ज्यादा लोकप्रिय हैं। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार की तरफ से साल 2016 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। मालिनी अवस्थी कहती हैं, 'इस ऐतिहासिक अवसर की 150वीं वर्षगांठ पर मुझे गायन के लिए आमंत्रित किया गया है, मैं गौरवान्वित महसूस कर रही हूं और भाव विह्वल हूं।'
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मालिनी अवस्थी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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यह पहला मौका नहीं है जब मालिनी अवस्थी नीदरलैंड में अपनी संगीतमय प्रस्तुति देने जा रही हो। वह कहती हैं, 'नीदरलैंड की यह हमारी दसवीं यात्रा है। वहां से मेरा एक भावनात्मक रिश्ता बन गया है। अपने गिरमिटिया पूर्वजों के प्रतापी वंशजों के साथ अपनी प्रस्तुति को लेकर मैं बहुत ज्यादा उत्सुक और आनंदित हूं। नीदरलैंड यूरोप के सबसे समृद्ध देशों में से एक है लेकिन आज भी वहां के लोग पूरी तरह से अपनी भारतीय रीतियों से जुड़े हुए हैं।'
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मालिनी अवस्थी
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई
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कहते हैं कि 5 जून 1873 को भारत से मजदूरों को सूरीनाम की राजधानी पेरामारिबो में गुलाम बनाकर लाया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सब कुछ बदला, लेकिन नहीं बदली तो उन भारतीय मजदूरों की किस्मत जो गुलाम बनाकर लाए गए थे। 25 नवंबर 1975 को सूरीनाम को नीदरलैंड से आजादी मिली और वहां एक नया संविधान बना। असुरक्षित माहौल से कुछ भारतीय सूरीनाम से निकलकर नीदरलैंड जा बसे, धीरे धीरे संख्या बढ़ती रही और आज एक तिहाई सूरीनामी नीदरलैंड में रहते हैं।
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