अमर उजाला से एक खास बातचीत में रणदीप बताते हैं, “एक्सट्रैक्शन के लिए काम करना आसान नहीं रहा। वैसे तो मैं रोहतक का जाट हूं। स्पोर्ट्स स्कूल में पढ़ा लिखा। वहां तो सुबह पांच बजे से ही उठाकर रेल बना देते थे। लेकिन, फिल्म के लिए एक्शन करना दूसरी बात है। और, हॉलीवुड की एक्सट्रैक्शन जैसी फिल्म का एक्शन करने के लिए बहुत तैयारी करनी पड़ी मुझे। काफी ट्रेनिंग लेनी पड़ी। कैसे पंच मारना है, कैसे हुक करना है? सबकी ट्रेनिंग हुई। दूसरे उनका सिस्टम पूरा मिनट टू मिनट तय रहता है। जो काम जिस समय पर शुरू होना है, वह उसी समय पर ही शुरू हो जाएगा।”