फिल्म ‘आदिपुरुष’ की रिलीज का नया काउंटडाउन रामनवमी पर शुरू करने के बाद इस फिल्म के निर्देशक ओम राउत गुरुवार को अपनी मां के साथ यहां के राम मंदिर में नजर आए। हर साल रामनवमी पर राम दरबार में हाजिरी लगाने वाले ओम राउत ने राम दरबार में माथा टेककर अपने परिवार, समाज और देश की कुशलता की कामना की। इस मौके पर ओम की मां नीना राउत ने अपने बेटे के लिए मंगल कामनाएं कीं और राम नवमी के दिन ओम की फिल्म ‘आदिपुरुष’ की सफलता की भी कामना की।
बतौर निर्देशक अपनी पहली फिल्म ‘लोकमान्य’ बनाई बनाने वाले ओम राउत की दूसरी फिल्म ‘तानाजी’ को देश दुनिया में खूब प्रशंसा मिल चुकी है। ‘आदिपुरुष’ के जरिये वह एक बार फिर भारतीय लोककथाओं पर अपना कैमरा घुमा रहे हैं। वह कहते हैं, ‘मेरे पिता जी (भरतकुमार राउत) महाराष्ट्र टाइम्स के संपादक रहे, राज्यसभा सदस्य रहे। माता जी (नीना राउत) ने भी मराठी टेलीविजन के लिए बहुत काम किया है। मैंने जो कुछ सीखा इन्हीं दोनों से सीखा है। दोनों के आशीर्वाद से सीखा। मेरा बचपन हिंदुस्तानी इतिहास के तमाम किरदारों की कहानियां पढ़ते सुनते बीता। अब मैं ये कहानियां दूसरों को सुनाना चाहता हूं और मेरा इन्हें सुनाने का माध्यम सिर्फ सिनेमा ही है।’
पर्दे पर राम बनने की कोशिशें अरुण गोविल के बाद तमाम कलाकारों ने कीं, प्रभास में आपको ऐसा क्या दिखा जो राम जैसा है? ये पूछे जाने पर ओम कहते हैं, ‘पहले तो मैं ‘आदिपुरूष’ के बारे में बताता हूं। ये राघव का नाम है। श्रीराम का नाम है। उनका जीवन चरित्र ऐसा है कि पूरी रामचरित मानस लिखनी पडी। मुझमें ऐसी सामर्थ्य नहीं है कि ये पूरी कथा मैं दोहरा पाऊं। मैंने इस गाथा का एक अध्याय चुना है जिससे कि लोगों को उनकी विचारधारा का ज्ञान हो सके। यह राघव के जीवन की एक घटना है। प्रभास को इस चरित्र ने खुद चुना है। लोग कहते हैं कि वह अखिल भारतीय सितारे हैं। लेकिन मुझे उनकी देहयष्टि, उनका शरीर सौष्ठव और उनकी भाव भंगिमाएं इस चरित्र के लिए बिल्कुल उचित लगीं।’
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की ‘राम की शक्ति पूजा’ में जिन नेत्रों का विवरण है, वैसे ही नेत्र ओम राउत को अपनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ में श्रीराम का चरित्र निभा रहे प्रभास की लगती हैं। ओम कहते हैं, ‘मुझे प्रभास की आंखों में वही भरोसा दिखता है। वह भरोसा कि प्रभु राम कहते हैं कि 108वां कमल कम है तो मां तो मुझे राजीव नयन कहती हैं। ये नयन ही इस कमल की कमी पूरी कर देगा। क्या भाव है, अहा! प्रभास की आँखें ऐसी ही हैं। उनमें ममता और आक्रोश दोनों दिखता है, जब जहां जिसकी जरूरत हो। प्रभास को इस चरित्र में लेने का यही सबसे बड़ा कारण भी है। और, वैसे भी प्रभास ही क्या हम सब पर उनकी कृपा है। जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करें सब कोई...!’
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