भाजपा सांसद और अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को लेकर बीते साल उनकी बायोपिक 'अभिनेता से राजनेता' बनाने का एलान करने वाले निर्माता अशोक प्रसाद अभिषेक का भोजपुरी सिनेमा से मोह भंग हो चुका है। निरहुआ के अलावा उन्होंने खेसारी लाल यादव और पवन सिंह को लेकर भी भोजपुरी फिल्में बनाने की घोषणाएं की, पर इनमें से एक भी फिल्म अब तक शुरू नहीं हो पाई है। ‘अमर उजाला’ ने इस बारे में उनसे ये खास बातचीत की।
आप तो आईटी प्रोफेशनल हो, ये भोजपुरी सिनेमा की तरफ झुकाव कैसे हुआ?
सच तो यै है कि भोजपुरी सिनेमा से पहले मैं हिंदी फिल्में ही बनाना चाह रहा था। मैं फिल्मों के माध्यम से आईटी जुड़ी बातें दर्शकों को बताना चाहता हूं। आज की तारीख में लोग ऑनलाइन ठगी का बहुत शिकार हो रहे हैं। मैं चाहता हूं कि सिनेमा के माध्यम से आम जनता को बदलती दुनिया के नए तौर तरीकों के बारे में बताया जाए और ऐसी जानकारियां उन तक पहुंचाईं जाए जो डिजिटल दौर में उनकी मदद कर सकें।
तो फिर हिंदी फिल्म शुरू न करके भोजपुरी फिल्में क्यों बनाना चाहते रहे ?
मैं कारोबारी इंसान हूं। मैं किसी भी व्यवसाय में तक तक हाथ नहीं डालता, जब तक मुझे उसकी ए बी सी न पता चल जाए। निवेश करने से पहले मैं तय करता हूं कि अगर ये पैसा डूब गया तो क्या इसका झटका मैं बर्दाश्त कर ले जाऊंगा। हिंदी फिल्मों में निवेश बहुत ज्यादा चाहिए और मुझे हिंदी फिल्मों के बारे में उतना अनुभव भी नहीं हैं। भोजपुरी में फिल्में जितने कम बजट में बन जाती हैं, मुझे नहीं लगता कि इतने कम बजट में कोई क्षेत्रीय सिनेमा की कोई दूसरी फिल्म बन सकती है।
दिनेश लाल यादव निरहुआ की बायोपिक 'अभिनेता से राजनेता' की शूटिंग पिछले साल दशहरा पर शुरू होने वाली थी, अब तक इस फिल्म की शूटिंग शुरू नहीं हो पाई है, ऐसा क्यों?
हम भोजपुरी के साथ साथ देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में बनाना चाहते हैं जिनमे मराठी, पंजाबी, तमिल और हिंदी फिल्में भी शामिल है। लेकिन अब अपने सभी फिल्म प्रोजेक्ट मैंने छह महीने तक रोक दिए हैं। भोजपुरी के लिए मेरी योजना थी कि सिर्फ सुपरस्टार्स के साथ ही काम करेंगे। इसलिए मैंने दिनेश लाल यादव निरहुआ, खेसारी लाल यादव और पवन सिंह को लेकर तीन फिल्मों की घोषणा की। तीनों स्टार्स को साइन भी किया है लेकिन अब ये तीनों प्रोजेक्ट मैंने स्थगित कर दिए हैं। इन दिनों मेरा पूरा ध्यान अपने आईटी बिजनेस पर है।