गुजरात और राजस्थान में मौसमी बारिश के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में पहुंच गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा, आठ जुलाई की सामान्य तिथि से छह दिन पहले शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में दस्तक दे चुका है। लेकिन इस सीजन में बारिश का औसत पांच फीसदी कम है। दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानसून सामान्य से तीन दिन पहले 29 मई को दक्षिणी केरल राज्य के तट पर पहुंचा था।
आशाजनक शुरुआत के बाद बारिश में धीरे-धीरे कमी आई है। जून में आठ फीसदी कम बारिश हुई है। मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मानसून रफ्तार पकड़ेगा और जुलाई में अच्छी बारिश होगी।
मानसून की बेरुखी से खरीफ की फसल पर असर
जून में मानसून की बेरुखी खरीफ की बुवाई पर भारी पड़ी है। इस बार एक जुलाई तक बुवाई में पिछले साल के मुकाबले करीब 15.70 लाख हेक्टेयर यानी करीब 5.33 फीसदी की कमी आई है। इससे गेहूं की कम पैदावार की मार झेल रहे देश पर खरीफ फसलों की कम बुवाई का खतरा भी मंडराने लगा है, क्योंकि पिछले साल इसी समय हुई 294.42 लाख हेक्टेयर की बुवाई के मुकाबले इस साल एक जुलाई तक 278.72 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की ही बुवाई हो पाई है।
पंजाब, उत्तराखंड की तराई के इलाके और पश्चिम उत्तर प्रदेश का किसान अभी भी अच्छी और लगातार बारिश की बाट जोह रहे हैं। जून की सामान्य से कम बारिश की वजह से धान, ज्वार, रागी मक्का, मूंगफली और रामतिल की बुवाई पर व्यापक असर दिख रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल के 12.27 लाख हेक्टेयर के मुकाबले अभी तक 10.57 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई है।