लोकप्रिय और ट्रेंडिंग टॉपिक्स

विज्ञापन

उत्तराखंड: ‘अंधेरे’ में कैद है देश को रोशन कर रहे टिहरी का गौरवशाली इतिहास, 'कबाड़' बन रहीं बेशकीमती निशानियां

गंगादत्त थपलियाल, अमर उजाला, नई टिहरी Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 05 Feb 2023 08:03 PM IST
टिहरी रियासत की बेशकीमती निशानियां
1 of 5
उत्तराखंड में जिस टिहरी की बिजली से पूरा देश रोशन हो रहा है। उसका गौरवशाली इतिहास अंधेरे कमरों में कैद है। बिजली की जरूरतों के लिए पुरानी टिहरी ने जलसमाधि ली तो उसमें यहां के राजा का महल भी पानी में डूब गया। महल की ऐतिहासिक धरोहर को सुरक्षित जगह पर रख दिया गया।

उम्मीद थी कि सरकार इस ऐतिहासिक शहर की यादों को संजोने के लिए कुछ न कुछ करेगी। लोगों की मांग पर संग्रहालय को मंजूरी भी मिली लेकिन 18 साल बाद भी यह सपना अधूरा है। बंद कमरों में पुरानी विरासत कबाड़ में तब्दील हो रही है।

Joshimath: सिंहधार वार्ड में फिर बढ़ने लगी दरारें, क्रैकोमीटर ने छोड़ी जगह, अचानक लौटी रैपिड एक्शन फोर्स

टिहरी के गौरवशाली इतिहास की कहानी शुरू होती है 28 दिसंबर 1815 को। तब गढ़वाल रियासत के महाराजा सुदर्शन शाह ने टिहरी के पुराना दरबार में खोली का गणेश स्थापित कर अपनी नई राजधानी की नींव रखी थी। महाराजा सुदर्शन शाह के बाद कई राजा आए गए और मानवेंद्र शाह के कार्यकाल के दौरान 1949 में टिहरी रियासत का भारत संघ में विलय हो गया था।

इस बीच वहां स्कूल, बदरीनाथ मंदिर की प्रतिकृति एवं गंगा मंदिर सहित कई मंदिर, ऐतिहासिक घंटाघर स्थापित किए गए। धीरे-धीरे शहर बड़ा व्यापारिक केंद्र बन गया। इस बीच 1972 के दौरान वहां बांध बनाने की सुगबुगाहट शुरू होने के साथ शहर में मायूसी छा गई। 29 अक्तूबर 2005 को 190 साल पुराने टिहरी को देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए जलसमाधि दे दी गई। टिहरी के डूबने के बाद राजशाही से जुड़ी धरोहरों के संरक्षण के लिए संग्रहालय और शहर की प्रतिकृति बनाने की मांग उठती रही है।
टिहरी रियासत की बेशकीमती निशानियां
2 of 5
विज्ञापन
खराब होने लगी हैं वस्तुएं
टिहरी रियासत से जुड़ी ऐतिहासिक चीजों को नवदुर्गा मंदिर और रानीचौरी में रखा गया है। रखरखाव के अभाव में कई चीजें खराब होने लगी हैं। 1949 में रियासत के विलय के दौरान कुछ समान देहरादून मालखाने में भी रखा गया था। पुराना दरबार ट्रस्ट और अन्य कई लोगों के पास भी टिहरी रियासत की निशानियां हैं।
विज्ञापन
टिहरी रियासत की बेशकीमती निशानियां
3 of 5
पुराना दरबार ट्रस्ट ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र, वस्त्र, मूर्तियां, पांडुलिपियां, अष्ट धातु के बर्तन आदि का संरक्षण कर रहा है। उसमें कुछ निजी संपत्ति भी है। सरकार जगह उपलब्ध कराती है तो ट्रस्ट पीपीपी मोड में संग्रहालय बना सकता है। 
- ठाकुर भवानी प्रताप सिंह, ट्रस्टी पुराना दरबार।
टिहरी रियासत की बेशकीमती निशानियां
4 of 5
विज्ञापन
पुरानी टिहरी में शिल्प कला की अलग-अलग शैली में भवन बनाए गए थे। इनमें सिमलासू में स्थित गोल कोठी, शीश महल, हुजूर कोर्ट, ग्रीक शैली का ऑडोटोरियम, महारानी नेपालिया इंटर कॉलेज जैसे भवन शामिल हैं। उनके मुकाबले नई टिहरी में एक भी भवन नहीं बन पाया। 
- विक्रम बिष्ट, वरिष्ठ पत्रकार, नई टिहरी
विज्ञापन
विज्ञापन
टिहरी रियासत की बेशकीमती निशानियां
5 of 5
विज्ञापन
नई टिहरी के आसपास संग्रहालय निर्माण के लिए भूमि का चयन किया जाएगा। कोटी काॅलोनी या नई टिहरी में निर्माण होना है। स्थानीय लोगों के साथ बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। 2018 में शासन से भूमि चिन्हित करने के लिए स्वीकृति मिल गई थी। कहां मामला लंबित है इसकी जानकारी मुझे नहीं है। 
-धीरेंद्र सिंह नेगी, ईई, पुनर्वास निदेशालय।

ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के लिए नई टिहरी बसाते समय ही संग्रहालय बनाया जाना चाहिए था। कई बार जमीन उपलब्ध कराने को पत्राचार किया गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अलग-अलग जगहों पर रखी कुछ धरोहर खराब हो रही हैं। 
-महीपाल सिंह नेगी, इतिहासकार
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

क्षमा करें यह सर्विस उपलब्ध नहीं है कृपया किसी और माध्यम से लॉगिन करने की कोशिश करें

;

Followed

;