देश के चार धामों में सर्वश्रेष्ठ बदरीनाथ धाम में रावल (मुख्य पुजारी) के सेंगोल (पवित्र छड़ी) के साथ चलने की प्राचीन परंपरा है। रावल को टिहरी के राजा ने यह पवित्र सेंगोल भेंट कर प्रशासनिक और न्यायिक अधिकार सौंपे थे।
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इतिहासकार बतातें हैं कि वर्ष 1853 में ब्रिटिश गढ़वाल के दौरान टिहरी राजा ने बदरीनाथ के रावल को बदरीनाथ की पूजा पद्धति के साथ ही अन्य संपूर्ण व्यवस्था सौंप दी थी। तब राजा ने रावल को सेंगोल भेंट किया था। बदरीनाथ धाम में रावल के साथ दो सेंगोल चलते हैं।
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