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Haridwar: बैरागी कैंप क्षेत्र में SDM ने मारा छापा, गड्ढे में दबी मिलीं सरकारी दवाईयां, हाल देख रह गए हैरान

संवाद न्यूज एजेंसी, हरिद्वार Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 07 Feb 2023 09:04 PM IST
गड्ढे में दबी मिली दवाईयां
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हरिद्वार बैरागी कैंप में एक गड्ढे की खोदाई में सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली दवाओं की खेप मिली है। शिकायत मिली तो जिलाधिकारी के निर्देश पर एसडीएम ने जेसीबी से गड्ढा खोदवाकर दवाएं बरामद की। बरामद दवाएं एक्सपायरी और नॉन एक्सपायरी हैं। डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को जांच कर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए। मामले में मुख्य चिकित्साधिकारी ने भी एसीएमओ के नेतृत्व में गड्ढे में दवाएं दबाने की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है।

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बता दें, सोमवार की शाम बैरागी कैंप क्षेत्र में जेसीबी से गड्ढा खोदकर किसी ने सरकारी सप्लाई की दवाओं को दबा दिया। मंगलवार को गड्ढे में दबी और बाहर पड़ी कुछ दवाओं को देखकर किसी ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी विनय शंकर पांडेय से फोन पर की। डीएम ने एसडीएम पूरण सिंह राणा को तत्काल मौके पर जाकर कार्रवाई के निर्देश दिए। एसडीएम ने ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती के साथ गड्ढा खोदवाया तो उसमें दवाओं की पूरी खेप मिली।

ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती ने बताया कि आधी दवाएं तो एक्सपायर हो चुकी हैं, लेकिन कुछ दवाओं की एक्सपायरी अभी पांच से सात महीने बाकी है। बताया कि सभी दवाएं सरकारी आपूर्ति की हैं। सीएमओ डाॅ. मनीष दत्त भी घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने दवाओं को भगवानपुर में वेस्ट बायोमेडिकल का निस्तारण करने वाली कंपनी में भेजने के निर्देश दिए। कहा कि दवाओं को नष्ट नहीं किया जाए। कंपनी में ही जांच होने तक रखा जाएगा।

बताया कि एसीएमओ डॉ. पंकज जैन की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी में अनिल वर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भारती और चीफ फार्मेसिस्ट बिरम सिंह को रखा गया है। जिन्हें जल्द से जल्द जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
गड्ढे में मिली सरकारी दवाईयां
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ढाई लाख आंकी गई कीमत
गड्ढे में दबाई गई दवाओं में सिरप, कैप्सूल, टैबलेट आदि मिली हैं। इनमें अधिकांश विटामिन, जिंक और एंटीबाइटिक दवाएं हैं, जिनकी कीमत ढाई लाख रुपये आंकी गई है। बताया जा रहा है कि ये दवाएं कोरोनाकाल में खरीदी गई थीं, लेकिन उपयोग में नही लाई गईं। इन्हें ठिकाने लगाने के लिए गड्ढे में दबा दिया गया।
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निगम की जेसीबी होने की चर्चा
गड्ढे में दवाओं को दबाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के किसी डॉक्टर या कर्मचारी की ओर से ही नगर निगम हरिद्वार की जेसीबी मंगाने की चर्चा हो रही है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही है, लेकिन इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम में दिनभर बातें होती रहीं।

आखिर क्या रही मंशा
दवाओं को गड्ढे में दबाने की आखिर किसकी क्या मंश रही होगी, इस पर बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग हर पहलू से जांच में जुट गया है। वर्ष 2010 में रुड़की क्षेत्र में भी बड़ी मात्रा में नष्ट करने के मकसद फेंकी गईं दवाएं मिली थीं। तब भी स्वास्थ्य विभाग की खासी किरकिरी हुई थी।
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सिस्टम की लापरवाही से सरकारी धन की बर्बादी
बैरागी कैंप के गड्ढे में मिली सरकारी दवाएं कहीं न कहीं सिस्टम की पोल खोल रही है। इस लापरवाही के कारण ही सरकारी दवाओं को गड्ढे में दबा दिया गया। अस्पतालों में मरीजों को दवा नहीं मिलने पर उन्हें बाहर से खरीदनी पड़ रही है। अक्सर ऐसी शिकायत मरीजों और उनके तीमारदारों की तरफ से मिलती रहती है। इनमें सुधार नहीं किया गया, जिससे बची हुई दवाओं को गड्ढे में तो दबा दिया गया, लेकिन वह मरीजों को नहीं मिली। इससे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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बैच नंबर बन सकता है मददगार
सरकारी दवाओं की ओर से बैच नंबर के आधार पर सरकारी अस्पतालों में भेजा जाता है। इसलिए दवाओं के ऊपर अंकित बैच नंबर दवाओं के दबाने का राज खोलने में बहुत ही मददगार साबित हो सकता है, जिससे आरोपियों तक जांच टीम पहुंच सकती है।

दवाओं को इस तरह से गड्ढे में दबाना बहुत ही बड़ा अपराध है। मामले की जांच करने के लिए जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 
- डॉ. मनीष दत्त, सीएमओ हरिद्वार
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