उत्तराखंड के हरिद्वार में कमरतोड़ महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी हाड़तोड़ मेहनत करके फसलें उगाने वाला किसान परेशान है। मंडी में पहुंचकर किसानों को उसकी सब्जी का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों को मुनाफा तो दूर खाद, बीज और मंडी लाने का भाड़ा तक नहीं निकल रहा है। हताश किसान मंडी में ही सब्जियां फेंकने को मजबूर हैं, जबकि कई किसानों ने मंडी के बजाय ट्रैक्टर ट्राली में सब्जियां लादकर बेचना शुरू कर दिया है। फरवरी में लोकल सब्जियों की खूब आवक होती है। शादियों का सीजन नहीं है। इसलिए भी बाजार में सब्जियों की खपत कम है। आवक अधिक और खपत कम होने का असर काश्तकारों पर पड़ रहा है। काश्तकारों को कई सब्जियों के वाजिब दाम तक नहीं मिल रहे हैं। मंडी में बिचौलिए मनमाने दामों पर खरीद रहे हैं। लागत तक नहीं निकलने से टमाटर, बैंगन, धनिया, पालक, फूल और पत्ता गोभी को मंडी में ही फेंक रहे हैं। ज्वालापुर स्थित मंडी से किसानों की फेंकी सब्जियों को कई पशुपालक बटोरकर मवेशियों के लिए ले जा रहे हैं। गढ़मीरपुर निवासी काश्तकार किशन पाल ने बताया कि डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने से भाड़ा भी बढ़ गया है।