पंजाब में जब आतंकवाद का काला दौर शुरू हुआ था तो उसका प्रभाव चौक चौराहों पर आयोजित होने वाले जागरण पर भी पड़ा। 1990 तक पंजाब में जागरणों की संख्या में भारी कमी आ गई थी। हर शनिवार की रात अमृतसर में होने वाले जागरणों में चंचल की आवाज सुनाई नहीं देती थी। चंचल पहले भजन गायक थे जिन्होंने नववर्ष की पूर्व संध्या पर माता वैष्णो देवी के दरबार में जागरण करने की परंपरा शुरू की थी। यह आज भी जारी है।