दुनिया में ऐसे कई किले हैं, जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। एक ऐसा ही किला बिहार के रोहतास जिले में भी है, जिसे 'शेरगढ़ का किला' कहते हैं। अफगान शासक शेरशाह सूरी के इस किले में सैकड़ों सुरंगें और तहखाने हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये सुरंगें कहां खुलती हैं, इसके बारे में आज तक किसी को भी पता नहीं चला।
कैमूर की पहाड़ियों पर मौजूद इस किले की बनावट दूसरे किलों से बिल्कुल अलग है। यह इस तरह से बनाया गया है कि बाहर से यह किला किसी को भी नहीं दिखता। किला तीन तरफ से जंगलों से घिरा हुआ है, जबकि इसके एक तरफ दुर्गावती नदी है।
किले के अंदर जाने के लिए एक सुरंग से होकर जाना पड़ता है। कहते हैं कि अगर इन सुरंगों को बंद कर दिया जाये, तो किला किसी को दिखाई भी नहीं देगा। यहां बने तहखानों के बारे में कहा जाता है कि ये इतने बड़े हैं, उसमें एक साथ 10 हजार लोग आ सकते हैं।
कहते हैं कि इस किले को शेरशाह सूरी ने अपने दुश्मनों से बचने के लिए बनवाया था। वो अपने परिवार और सैनिकों के साथ यही पर रहते थे। यहां उनके लिए सुरक्षा से लेकर तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद थीं।
इस किले को इस तरह बनवाया गया है कि हर दिशा में अगर दुश्मन 10 किलोमीटर दूर भी रहे तो उसे आते हुए साफ-साफ देखा जा सकता है। कहा जाता है कि इसी किले में मुगलों ने शेरशाह सूरी, उनके परिवार और हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था।