अगर आपको गाड़ी चलाने आती है, तो आप यह अच्छी तरह से जानते होंगे कि कार ड्राइविंग सीखते समय किन पांच चीजों के बारे में सबसे पहले बताया जाता है। लेकिन जो लोग गाड़ी चलाना नहीं जानते हैं या कार ड्राइविंग सीखने का प्लान बना रहे हैं, उनके लिए यह खबर बहुत जरूरी है। दरअसल कार और बाइक का कॉन्सेप्ट लगभग- लगभग एक ऐसा ही होता है। हालांकि, इनमें ब्रेक, क्लच और एक्सेलरेटर का पोजिशन अलग-अलग रहता है। लेकिन कुछ फीचर हैं, जो मोटरसाइकिल और कार की ड्राइविंग को पूरी तरह से अलग बना देते हैं, ये फीचर कार का रियर और राइड मिरर हैं। दरअसल मोटरसाइकिल में हम साइड मिरर पर उतना निर्भर नहीं रहते, जितना हम कार की राइडिंग के दौरान रियर और राइड मिरर के भरोसे रहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि कई बार रियर मिरर और राइड मिरर हादसे का कारण बन जाते हैं। जी हां, सही पढ़ा आपने। आज हम आपको इसी सावधानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कई बार बन जाते हैं हादसे का कारण। डालते हैं एक नजर,
ब्लाइंड स्पॉट बनता है हादसे का कारण
ब्लाइंड स्पॉट की वजह के कई बार बहुत बड़े हादसे हो जाते हैं। ब्लाइंड स्पॉट को अगर आसान भाषा में समझें तो पीछे से आ रही कार जब आपकी गाड़ी के बराबर आ जाती है, तब वह कुछ सेकेंड या माइक्रो सेकेंड्स के लिए साइड मिरर में नहीं दिखाई देती है। इस पल को ब्लाइंड स्पॉट कहते हैं। नए कार चालकों को इसकी वजह से कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बाईं तरफ का साइड मिरर
कई बार लोग जल्दबाजी के चक्कर में बाईं तरफ का साइड मिरर सेट नहीं करते हैं, जिसकी वजह से दुर्घटना हो जाती है। दरअसल भारत में लोग अक्सर ट्रैफिक रूल्स को फॉलो नहीं करते हैं। यही कारण है कि दाईं ओर से ओवरटेक करने के बजाए लोग बाईं ओर से भी ओवरटेक करते हैं। दो-पहिया चालक तो अक्सर ऐसा करते हैं। ऐसे में अगर आपको बाईं ओर का साइड मिरर सेट नहीं है, तो आपको पूरा व्यू नहीं मिल पाएगा, जिससे बड़ा हादसा हो सकता है।
पीछे का व्यू बंद हो जाना
कई बार शॉपिंग के दौरान ज्यादा खरीदारी होने पर लोग गाड़ी के पीछे की तरफ सारा सामान रख देते हैं, जिससे रियर व्यू मिरर बेकार हो जाता है। यह लापरवाही बहुत खतरनाक साबित होती है। इसके अलावा कई बार साइड मिरर खराब हो जाने पर लोग उसे चेंज नहीं करते जो ड्राइविंग के दौरान हादसे को निमंत्रण देता है।
मिरर सेटिंग
गाड़ी चलाते समय तीनों तरफ के मिरर को सेट जरूर करें। दरअसल ज्यादा समय से कार चला रहे चालकों को लगता है कि रियर मिरर काफी है, यही ओवर कॉन्फिडेंस हादसे का कारण बनता है। जिन्हें नहीं पता है उनके लिए बता दें कि कार में तीन मिरर लगे होते हैं। पहला मिरर कार के अन्दर ड्राइवर के सामने लगा होता है। जबकि, बाकी के दो मिरर कार के दोनो तरफ बाहर की ओर लगे होते हैं।