मृत्यु लोक के दंडाधिकारी शनिदेव 23 मई की दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर मकर राशि में ही गोचर करते हुए वक्री हो रहे हैं। इसी अवस्था में भ्रमण करते हुए ये 11 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 43 मिनट पर मार्गी होंगे। मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि तुला राशि में उच्चराशिगत तथा मेष राशि में नीचराशिगत संज्ञक माने गए हैं। अपनी ही राशि में इनके वक्री होने का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
मेष राशि
राशि से दशम भाव में शनिदेव का वक्री होना आपके लिए बहुत हानिप्रद नहीं रहेगा। मान-सम्मान की वृद्धि तो होगी ही राजनैतिक कद भी बढ़ेगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी किंतु किसी न किसी कारण से पारिवारिक कलह एवं मानसिक अशांति रहेगी। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए भी किया गया आवेदन सफल रहने के योग।
वृषभ राशि-
राशि से भाग्य भाव में वक्री शनि धर्म एवं आध्यात्म के प्रति गहरी रूचि बढ़ाएंगे। स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहना पड़ेगा, संभव है कार्य व्यापार में कुछ बाधाएं आए किंतु अंततः आप सफल रहेंगे इसलिए हताश ना हों। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों एवं छोटे भाइयों से मतभेद पैदा न होने दें। अपने साहस और पराक्रम के बल पर कठिन परिस्थितियों पर भी आसानी से विजय प्राप्त करेंगे।
मिथुन राशि
राशि से अष्टम भाव में शनि देव का वक्री होना आपके लिए कठिन चुनौतियां पेश करेगा। स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में भी षड्यंत्रकारी सक्रिय रहेंगे। झगड़े विवाद से दूर रहें और कोर्ट कचहरी के मामले में भी बाहर ही सुलझा लेना समझदारी होगी। इस अवधि के मध्य पैतृक संपत्ति बेचने से बचें। जहां तक संभव हो शनि शांति के उपाय कराएं। शमी और पीपल का वृक्ष लगाएं।
कर्क राशि
राशि से सप्तम भाव में वक्री शनि शादी-विवाह से संबंधित वार्ता में विलंब ला सकते हैं। दांपत्य जीवन में भी कुछ कटुता आएगी इसे ग्रह योग समझकर बढ़ने न दें। व्यापारियों के लिए भी कठिन चुनौतियां आएंगी। इस अवधि के मध्य साझा व्यापार से करने से बचना श्रेयस्कर रहेगा। सरकारी विभागों में प्रतीक्षित कार्यो के पूर्ण होने में थोड़ा और समय लग सकता है धैर्य की आवश्यकता है।