वैदिक ज्योतिष में कुंडली के सप्तम भाव से वैवाहिक जीवन को देखा जाता है। इसी भाव से यह पता किया जा सकता है कि जातक का विवाह कब होगा। जहां वर की कुंडली में शुक्र और राहु विवाह के कारक माने जाते हैं वहीं कन्या की कुंडली में गुरु बृहस्पति विवाह का कारक है।