बृहस्पति 17 जनवरी की शाम 5 बजकर 50 मिनट पर मकर राशि में गोचर करते हुए अस्त हो रहे हैं ये पुनः 14 फरवरी की रात्रि 11 बजकर 42 मिनट पर पूर्व में उदय होंगे। किसी भी ग्रह के अस्त होने का तात्पर्य है उसका बुझ जाना अथवा तेज हीन हो जाना। इसलिए अस्त ग्रह जातक के जीवन में कभी भी अपना पूर्ण प्रभाव दे पाने में असमर्थ रहते हैं क्योंकि उनकी शक्ति क्षीण हो जाती है। गुरु जब भी अस्त होते हैं तो पृथ्वी वासियों पर इसका सीधा असर दिखाई पड़ता है। धार्मिक गुरुओं, कथावाचकों, शिक्षाविदों, ब्राह्मणों, तथा यज्ञ कर्ताओं के लिए गुरु का अस्त होना शुभ नहीं रहेगा।
फलित ज्योतिष के अनुसार जिनकी जन्म कुंडली में ये अशुभ भाव में होते हैं उनके लिए समय बेहतर होता है क्योंकि नुकसान की भरपाई होने लगती है। जिनके लिए शुभ भाव में गोचर करते हैं उन्हें कार्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु कर्क राशि में उच्चराशि तथा मकर राशि में नीचराशिगत संज्ञक माने गए हैं। इनके अस्त होने का सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव रहेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।
फलित ज्योतिष के अनुसार जिनकी जन्म कुंडली में ये अशुभ भाव में होते हैं उनके लिए समय बेहतर होता है क्योंकि नुकसान की भरपाई होने लगती है। जिनके लिए शुभ भाव में गोचर करते हैं उन्हें कार्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु कर्क राशि में उच्चराशि तथा मकर राशि में नीचराशिगत संज्ञक माने गए हैं। इनके अस्त होने का सभी 12 राशियों पर कैसा प्रभाव रहेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।