ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह की विशेष भूमिका मानी गई है। शनिदेव को न्यायधीश का दर्जा प्राप्त है। यह व्यक्ति को उनके कर्मों के हिसाब से शुभ या अशुभ फल प्रदान करते हैं। जहां कुंडली में शनि के शुभ स्थान पर होने पर व्यक्ति को सभी तरह के सुख और वैभव प्राप्त होते हैं, तो वहीं अशुभ स्थान पर शनि व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियां पैदा कर देते हैं। शनि सभी ग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाले एक मात्र ग्रह हैं। यह एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान बदलने में ढाई वर्षों का समय लगाते हैं। शनि जिस राशि में ढाई वर्षों तक रहते हैं फिर दोबारा उसी राशि में आने के लिए करीब 30 वर्षों के बाद ही आते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन जातकों के ऊपर शनि की महादशा, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप रहता है उनके जीवन में कई तरह की परेशानियां आती हैं।