चीन द्वारा सैन्य खर्च बढ़ाए जाने पर भारत ने अपनी चिंता जताई है। हालांकि यह भी साफ किया कि बीजिंग को भारत खतरे के रूप में नहीं देखता है। सिंगापुर में आयोजित वार्षिक सुरक्षा फोरम के दौरान रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा कि चीन ने अपनी सैन्य क्षमता और खर्च में बढ़ोतरी की है। इसको लेकर हम चिंतित हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि हथियारों की दौड़ में हमारा विश्वास नहीं है पर अपने तरीके से राष्ट्रीय हित की रक्षा के लिए हम भी सीमाओं पर अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं। एंटनी ने कहा कि नई दिल्ली अपने पड़ोसी देशों के साथ स्थिर संबंध चाहता है और दो देशों ने सैन्य सहयोग शुरू किया था। फोरम के दौरान दक्षिण चीन सागर का मुद्दा छाया रहा।
एंटनी ने कहा कि हमने सेना के स्तर पर संपर्क किया था, लेकिन देर की, हमने उसे दो देशों की नौसेनाओं में बढ़ाना शुरू किया है। भारत की तरह, जापान ने भी चीन के भारी रक्षा खर्च में पारदर्शिता में कमी पर चिंता व्यक्त की है। जापान ने इस गोपनीयता को खतरा बताया है।
गौरतलब है कि चीन का सैन्य बजट इस साल 11 फीसदी बढ़कर 106 अरब डॉलर पहुंच गया है। दक्षिण चीन सागर विवाद पर भारत ने साफ कहा है कि समुद्री स्वतंत्रता पर कुछ का विशेषाधिकार नहीं हो सकता, समुद्री मार्ग को सभी के उपयोग के लिए सुनिश्चित करने के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए।
रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने कहा, ‘वैश्वीकरण और परस्पर निर्भरता के इस युग में अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वैश्विक सुरक्षा के लिए देशों के अधिकार और बड़े वैश्विक समुदाय की स्वतंत्रता के बीच संतुलन महत्वपूर्ण है।’ फोरम में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के पालन की वकालत और समर्थन किया है।