मुंबई हमला मामले में लश्कर ए ताइबा कमांडर जकीउर रहमान लखवी समेत सात पाकिस्तानी संदिग्धों के बचाव पक्ष के वकीलों ने दलील दी है कि भारत दौरे पर गए न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को सुनवाई का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। हमले के कथित मास्टर माइंड लखवी ने अपने वकील ख्वाजा हरीश अहमद के जरिए अर्जी दाखिल कर आतंकवाद रोधी अदालत से पाकिस्तानी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को ‘चालान’ का हिस्सा नहीं बनाने को कहा है।
गौरतलब है कि आयोग ने मुंबई जाकर 2008 हमले की जांच में शामिल कई प्रमुख अधिकारियों के साक्षात्कार के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी है। रावलपिंडी में अदियाला जेल के बंद कमरे में जज शाहिद रफीक के सामने हुई सुनवाई के दौरान लखवी के वकील ने न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ यह बहस की। बचाव पक्ष के वकीलों ने पहले भी न्यायिक आयोग के दौरे के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते पर आपत्ति दर्ज की थी।
इस समझौते के तहत आयोग के सदस्यों को अधिकारियों के साथ जिरह करने का अधिकार नहीं था। आतंकवाद रोधी अदालत द्वारा सप्ताह में दो बार सुनवाई करने के फैसले से संबंधित रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर अहमद ने पीटीआई समाचार एजेंसी को बताया कि बचाव पक्ष सुनवाई में तेजी लाना चाहता था। अहमद की इस दलील पर जज ने मामले की सुनवाई पांच जून तक के लिए स्थगित कर दी है।