पाक के बलूचिस्तान के बाद अब गिलगित-बालटिस्तान के लोगों में आक्रोश भड़क रहा है। यहां के स्थानीय प्रतिनिधियों ने विवादित क्षेत्र के लोगों के स्वनिर्णय के अधिकार के लिए अमेरिकी मदद मांगी है। प्रतिनिधियों का कहना है कि यह लोग पाकिस्तान सरकार द्वारा दबा कर रखे गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इसलामाबाद में अमेरिकी दूतावास के तीन वरिष्ठ राजनयिकों ने गिलगित में 31 मई को गिलगित बालटिस्तान यूनाइटेड मूवमेंट (जीबीयूएम) के चेयरमैन मंजूर हुसैन परवाना से मुलाकात की। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में लिजा बुजेनास (पॉलिटकल/एकनॉमिक ऑफीसर) और किंबरले फेलन (पॉलिटकल ऑफीसर) शामिल थे।
परवाना ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के सामने गिलगित बालिटिस्तान के लोगों का स्वनिर्णय के अधिकार, कम होती सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा उठाया। परवाना ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की यहां भारी मात्रा में मौजूदगी और गहरी भू रणनीतिक स्थिति एक स्वतंत्र देश होने के सभी मापदंडों को पूरा करती है। हम अपने पड़ोसी देशों भारत, पाकिस्तान, तजाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन से घनिष्ठ संबंध चाहते हैं, लेकिन हम यह नहीं चाहते की वह गिलगित बालटिस्तान के साथ एक उपनिवेश की तरह व्यवहार करें।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और हमारे पड़ोसी देशों को स्वतंत्र देश के हमारे इस स्व निर्णय के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। परवाना ने कहा कि हम अपने संसाधनों का इस्तेमाल अपने लोगों के लिए करना चाहते हैं लेकिन पड़ोसी देश तोप को तैनात करके हमारे लोगों का उत्पीड़न करता है। परवाना का यह बयान शुक्रवार को यहां वितरित किया गया। गिलगित बालटिस्तान के प्रतिनिधियों के साथ अमेरिकी टीम से मुलाकात में परवाना ने कहा कि पाक की खुफिया एजेंसी, सेना और राजनीतिक दल हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं।