स्पर्म डोनेशन बिलकुल ब्लड डोनेशन की तरह होता है। स्पर्म डोनेशन से पहले व्यक्ति का पूरा मेडकिल चैकअप होता है। एलर्जी और यौन संक्रमण का खास ध्यान रखा जाता है। इसके बाद एक छोटे से इंजेक्शन के जरिए शरीर से स्पर्म ले लिए जाते हैं। केवल उन्हीं लोगों के स्पर्म सैंपल लिए जाते हैं, जिनमें 1 मिली स्पर्म सैंपल में स्पर्म काउंट 20 मिलियन यानी 2 करोड़ होते हैं।
शरीर से स्पर्म लिए जाने के बाद स्पर्म को ‘-196 डिग्री सेल्सियस’ के लिक्विड नाइट्रोजन में स्टोर किया जाता है। तीन महीने बाद फिर से खून का परीक्षण कर एचआईवी व हेपेटाइटिस बी की जांच की जाती है। उसके बाद स्पर्म में से शुक्राणु निकालकर इंजेक्शन के माध्यम से गर्भ में रोपित कर दिए जाते हैं।
क्लीनिक की भूमिका
जिस कंपनी या क्लिनिक ने स्पर्म स्टोर किया है वो तीन माह बाद इसे उन डॉक्टरों या अस्पतालों को भेज देती है जहां कम स्पर्म काउंट वाले केस आते हैं। स्पर्म लेने से पहले डॉक्टर उक्त क्लीनिक या कंपनी को रिसीवर के वजन, लंबाई और स्किन कलर जैसी जानकारी भेजते हैं। स्पर्म स्टोर करने वाला क्लीनिक इसी जानकारी मेल से खाता सैंपल डॉक्टरों को भेज देता है।