यूपी निकाय चुनाव की राह में रुकावट आ सकती है, क्योंकि इसे रद्द करने की मांग वाली याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर की जाएगी। सर्वोच्च अदालत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी जाने वाली है, जिसमें चुनाव में हस्तक्षेप करने से मना किया गया था।
एक ही स्थान पर दोबारा आरक्षण गैर कानूनी
सर्वोच्च अदालत में राज्य के एक मौजूदा पार्षद राकेश गौतम ने निकाय चुनाव को चुनौती देने का फैसला लिया है। उनका कहना है कि राज्य में होने वाले निकाय चुनाव में उन्हीं स्थानों पर फिर से आरक्षण प्रदान किया गया है, जहां 2004 में कोटा लागू किया गया था, जबकि एक ही स्थान पर चुनाव में दोबारा आरक्षण दिया जाना गैर कानूनी है।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होगी याचिका
हाईकोर्ट ने इस मसले पर यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था कि चुनाव संबंधी अधिसूचना की घोषणा राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से की जा चुकी है। याचिकाकर्ता के वकील डीके गर्ग ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। 4 जून को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दाखिल हो जाएगी।
5 जून से निकाय चुनाव के नामांकन
याद रहे कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 25 मई को चार चरणों में निकाय चुनाव की घोषणा की थी। इससे पहले 23 मई को राज्य सरकार की ओर से निकाय चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी की गई थी। जिसमें निकाय के मुख्य पदों को आरक्षण प्रदान किया गया है। गौरतलब है कि 5 जून से निकाय चुनाव के नामांकन शुरू होने हैं।
निकाय चुनाव पर संकट के बादल
इस दौरान सर्वोच्च अदालत अगर राकेश की याचिका पर हस्तक्षेप करने को तैयार हो जाती है तो एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस मामले में सर्वोच्च अदालत को हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि यदि जिला जज के यहां चुनाव याचिका दाखिल की जाती है तो उस पर कोई आदेश जारी नहीं हो सकेगा। जिला जज को इस मामले में सीधे तौर पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।