टीवी चैनलों समेत प्रचार तंत्रों से देश-दुनिया में अपना परचम फैला रही हिंदी विदेश में बड़े सरकारी बाबुओं के कारण अपनी चमक कायम नहीं रख पा रही है।
खासतौर पर विदेश में भारतीय दूतावासों, उच्चायुक्तों व मिशन कार्यालयों में हिंदी की दुर्दशा हो रही है। इन केंद्रों में हिंदी से विदेशी भाषाओं तथा विदेशी भाषाओं से हिंदी में भाषांतरण करने के ठोस इंतजाम नहीं हैं। ज्यादातर भारतीय दूतावासों, उच्चायुक्तों व मिशन-पोस्टों में हिंदी जानने वाले अथवा हिंदी में काम करने वाले अफसर तैनात नहीं हैं।
यह बात विदेशी मामलों की संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही है। हिंदी की इस दुर्दशा से चिंतित स्थाई समिति ने कहा है कि भारतीय दूतावासों, उच्चायुक्तों व मिशन-पोस्टों में हिंदी भाषांतरण के लिए एक विशेष कैडर बनाने की जरूरत है। समिति यह भी चाहती है कि भारतीय संसदीय या अन्य उच्च शिष्टमंडलों के विदेशों के दौरे के समय उन्हें वहां हिंदी भाषांतरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
भाजपा सांसद अनंत कुमार की अध्यक्षता वाली इस संसदीय स्थाई समिति ने हिंदी को लेकर चिंता इसलिए भी जताई है कि विदेश दौर पर जाने वाले ससंदीय दल में शामिल सांसदों को आए दिन भाषांतरण को लेकर परेशानी उठानी पड़ती है। हालांकि विदेश मंत्रालय की दलील है कि उसके पास विशेषीकृत भाषातंरकार अधिकारियों का कैडर पहले से है और वे हिंदी में पारंगत हैं।