स्कूली शिक्षा में इंफर्मेशन कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी (आईसीटी) को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय शिक्षा सलाहकार समिति द्वारा गठित एक कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को आईसीटी विशेष रूप से कंप्यूटर आधारित शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए। इससे बच्चों के बौद्धिक और शारीरिक विकास पर गलत असर पड़ता है। कमेटी की रिपोर्ट को छह जून को कैब की बैठक में पेश किया जाएगा।
मानव संसाधन मंत्रालय में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव अंशु वैश्य की अध्यक्षता में आईसीटी पर सुझाव देने के लिए गठित सब कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार प्राइमरी में पढ़ने वाले कम उम्र बच्चों के हाथ एवं आंखों का सामंजस्य कंप्यूटर स्क्रीन एवं की-बोर्ड तथा माउस पर साथ साथ काम करने के हिसाब से पूरी तरह विकसित नहीं होते।
कई शोधों में भी कम उम्र बच्चों को इस तरह की गतिविधियों के लिए उचित नहीं बताया गया है। रिपोर्ट में स्कूलों में इस्तेमाल किए जा रहे सॉफ्टवेयर बच्चों को कंप्यूटर सीखने के अनुकूल नहीं हैं। कमेटी ने सुझाव दिया है कि आईसीटी आधारित शिक्षा विशेष रूप से कंप्यूटर शिक्षा प्राइमरी स्तर पर नहीं दी जानी चाहिए। स्कूलों में यह शिक्षा छठवीं क्लास से शुरू करना उचित रहेगा।
वर्तमान में स्कूलों में दी जा रही कंप्यूटर की शिक्षा के बारे मे रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर स्कूलों में न तो कंप्यूटर के शिक्षक हैं और पर्याप्त संख्या में कंप्यूटर। यही नहीं कंप्यूटर का इस्तेमाल शिक्षा ग्रहण करने के स्थान पर ज्यादातर स्कूलों में बच्चों को कंप्यूटर का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, यही सिखाया जा रहा है। इससे आईसीटी के मकसद को नहीं हासिल किया जा सकता।
कमेटी ने इसके लिए पर्याप्त संख्या में कंप्यूटर की व्यवस्था कराने के साथ ही हर बच्चे के लिए प्रतिदिन कंप्यूटर पर काम करने के घंटे भी तय किए जाने की सिफारिश की है। कमेटी ने स्कूली शिक्षकों को कंप्यूटर में प्रशिक्षित किए जाने के लिए अलग से व्यवस्था किए जाने का भी सुझाव दिया है।